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Pandit Pradeep Mishra: गीदम में शिव महापुराण कथा, पंडित प्रदीप मिश्रा ने दिया सनातन धर्म की रक्षा का संदेश

Pandit Pradeep Mishra: छत्तीसगढ़ के गीदम में चल रही शिव महापुराण कथा में प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने सनातन धर्म की रक्षा, वनवासी संस्कृति के संरक्षण और दंतेवाड़ा की बदलती आध्यात्मिक पहचान पर जोर दिया।

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शिव महापुराण कथा में पंडित मिश्रा का प्रवचन (photo source- Patrika)

शिव महापुराण कथा में पंडित मिश्रा का प्रवचन (photo source- Patrika)

Pandit Pradeep Mishra: गीदम में चल रही शिव महापुराण कथा में प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने सनातन धर्म की रक्षा और वनवासी संस्कृति को संजोने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ दंतेवाड़ा एक नई दिशा की ओर बढ़ रहा है। नक्सल मुक्त माहौल के बाद अब यह क्षेत्र शांति, भक्ति और आध्यात्मिकता का केंद्र बन रहा है।

पंडित प्रदीप मिश्रा ने आज की कथा में भगवान शिव के एक और रूप बाबा मछेंदरनाथ और बाबा गोरखनाथ की उत्पत्ति का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान भोलेनाथ माता पार्वती को सरोवर के किनारे योग ज्ञान दे रहे थे, लेकिन माता का ध्यान कहीं और था। सरोवर में मछली थी और उसके पेट में एक बच्चा था, वही योग शिक्षा सुनता रहा। इस कथा के माध्यम से पंडित प्रदीप मिश्रा ने भगवान शिव की भक्ति का संदेश दिया।

Pandit Pradeep Mishra: विश्वास सबसे बड़ी शक्ति

उन्होंने कहा कि जीवन में विश्वास सबसे बड़ी चीज है। यदि हम ईश्वर पर भरोसा रखेंगे, तो उनका आशीर्वाद अवश्य मिलेगा कि उन्होंने कहा। मिश्रा ने वनवासी संस्कृति की पवित्रता की सराहना करते हुए कहा कि वे भारतीय परंपरा के असली संवाहक हैं और इन्हें सुरक्षित रखना समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने अन्य धर्मों के प्रलोभनों से सावधान करते हुए कहा कि इससे वनवासी समाज दूर हो रहा है, जो चिंतन का विषय है। घर वापसी की जरूरत क्यों पड़ती है यह समझना होगा।

बस्तर की विशेष सराहना

Pandit Pradeep Mishra: पंडित मिश्रा ने दंतेवाड़ा और बस्तर की शांति, सरलता और स्नेहपूर्ण जन-जीवन की प्रशंसा की। मंच से उन्होंने ‘छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा’ का नारा लगाया और ‘जय जोहार’ कहकर श्रद्धालुओं का अभिवादन किया। उन्होंने शिव को बेल पत्र अर्पित करने के महत्व और भगवान भोलेनाथ की बेर के प्रति विशेष प्रियता का भी उल्लेख किया। कथा में यजमान विजय तिवारी सहित हजारों भक्त मौजूद रहे और श्रद्धा भाव से शिव महापुराण का श्रवण किया।