
MP Election 2023 : सेवड़ा विधानसभा में 72.96% मतदान, क्या वर्चस्व कायम रख पाएगी कांग्रेस या भाजपा तोड़ेगी मिथक ?
मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग में आने वाले दतिया जिले की सेवड़ा विधानसभा सीट पर बीते तीन चुनावों के दौरान अलग-अलग पार्टियों ने बाजी मारी है। साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस के घनश्याम सिंह यहां से चुनाव जीते थे, जबकि दूसरे पायदान पर भाजपा के राधे लाल बघेल रहे थे। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने इसी सीट पर अपने पूर्व विधायक प्रदीप अग्रवाल को प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर अपने मौजूदा विधायक घनश्याम सिंह को ही प्रत्याशी बनाया है। राजनीतिक जानकारों की मानें इस बार के चुनाव में सेवड़ा सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
17 नवंबर को संपन्न हुए चुनाव में सेवड़ा विधानसभा सीट पर 72.96 फीसदी की वोटिंग दर्ज की गई है। वहीं, बात करें 2018 के वोट प्रतिशत की तो पिछली बार इस सीट पर 71.60 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2013 में यहां 72.21 प्रतिशत वोट पड़े थे। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता इस सीट से किस उम्मीदवार को चुनकर मध्य प्रदेश की विधानसभा पहुंचाती है।
विधानसभा के समीकरण
सेवड़ा विधानसभा के अगर हम राजनीतिक इतिहास की बात करें तो अब तक के हुए 11 विधानसभा चुनावों में 6 बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई। जबकि 3 बार इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की और 1 बार ये सीट जनता दल के खाते में गई और 1 बार बहुजन समाज पार्टी के कब्जे में भी रही है।
कांग्रेस के घनश्याम सिंह सेवड़ा
कांग्रेस पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक कुंवर घनश्याम सिंह को एक बार फिर सेवड़ा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में घनश्याम सिंह ने भाजपा के राधे लाल बघेल को 33, 268 वोटों से हराया था।
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भाजपा के प्रदीप अग्रवाल सेवड़ा
भाजपा की ओर से सेवड़ा विधानसभा सीट पर उम्मीदवार बनाए गए प्रदीप अग्रवाल 2013 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से विधायक रह चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस के मौजूदा विधायक कुंवर घनश्याम सिंह को 8, 809 मतों से हराया था।
सेवड़ा विधानसभा के मतदाता
मतदाताओं की बात करें तो मौजूदा समय में सेवड़ा विधानसभा में कुल 3 लाख 8 हजार 794 मतदाता हैं। इनमें 1 लाख 63 हजार 519 पुरुष मतदाता हैं। जबकि 1 लाख 45 हजार 275 महिला मतदाता हैं। इनमें 4 ट्रांसजेंडर भी हैं।
विधानसभा की जनता की आवाज
- विधानसभा क्षेत्र समेत जिलेभर में रोजगार का अभाव है। यही कारण है कि यहां से खासकर युवाओं की बड़ी आबादी को रोजगार की तलाश में प्रदेश और देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक जाना पड़ता है। रोजगार के अवसर पैदा करने चाहिए।
- अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें नहीं हैं या सड़कों की कमी है। इसके चलते बड़ी आबादी को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर किसी इमरजेंसी के दौरान बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है।
- विधानसभा में पेयजल एक बड़ी समस्या है।
- अच्छे तकनीकी कॉलेजों की कमी होने के कारण जिले के बच्चों को बाहर पढ़ने जाना पड़ता है।
- सेंवड़ा विधानसभा में किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इस बार हर सीट पर कांटे की टक्कर
6 जनवरी 2024 को मध्यप्रदेश विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। उससे पहले 3 दिसंबर को चुनाव आयोग नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लेगा। 17 नवंबर को पूरे प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। चुनाव से पहले अबतक सामने आए सर्वेक्षणों में ये पता चला है कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
Updated on:
02 Dec 2023 08:23 pm
Published on:
04 Nov 2023 07:27 pm
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