Hero of the Republic: Blood donation to Rakesh Kaushik
करीब 27 वर्ष पहले तेल मिल में कार्य के दौरान राकेश कौशिक का दायां हाथ मशीन में आने से कट गया। तब उन्हें इलाज के लिए 5 यूनिट खून की जरूरत पड़ी, लेकिन 3 यूनिट का ही इंतजाम हो सका। 2 यूनिट उपलब्ध नहीं होने पर उनके पिता रो पड़े। यह देख अस्पताल में ही राकेश ने प्रण कर लिया कि उनके पिता की तरह अब रक्त के लिए किसी अन्य के पिता की आंख में आंसू नहीं आने दिया जाएगा।
करीब 27 वर्ष पहले तेल मिल में कार्य के दौरान राकेश कौशिक का दायां हाथ मशीन में आने से कट गया। तब उन्हें इलाज के लिए 5 यूनिट खून की जरूरत पड़ी, लेकिन 3 यूनिट का ही इंतजाम हो सका। 2 यूनिट उपलब्ध नहीं होने पर उनके पिता रो पड़े। यह देख अस्पताल में ही राकेश ने प्रण कर लिया कि उनके पिता की तरह अब रक्त के लिए किसी अन्य के पिता की आंख में आंसू नहीं आने दिया जाएगा।
स्वास्थ्य ठीक होने के बाद जब कौशिक एक संस्था के शिविर में रक्तदान करने गए तो वहां रक्त संग्रहण टीम ने दिव्यांग होने का हवाला देकर रक्त लेने से मना कर दिया। कौशिक की जिद पर काफी जद्दोजहद के बाद रक्त लिया गया। इसके बाद कौशिक के अंदर रक्तदान का जुनून हो गया। अस्पताल हो या शिविर, हर जगह वे रक्तदान करने पहुंचने लगे। स्वयं के साथ दूसरों को भी प्रेरित किया। रक्तदान शिविर लगाए तथा पम्फलेट छपवाकर बांटे। कौशिक को देखकर अन्य कई लोग भी लगातार रक्तदान करने लगे हैं। मुख्यमंत्री से लेकर जिला प्रशासन सहित कई संस्थाओं ने कौशिक का सम्मान भी किया है। वे अब तक 57 बार रक्त दे चुके हैं।
कौशिक का कहना है कि रक्तदान से किसी की जान बचती है तो यह सबसे बड़ी खुशी की बात है। दर्जनों लोग उनसे रक्त की जरूरत पडऩे पर कार्ड ले जा चुके हैं। उनका कहना है कि रक्तदान से किसी भी तरह की शारीरिक कमजोरी नहीं होती है। प्रत्येक व्यक्ति को रक्तदान करना चाहिए, क्योंकि रक्त का निर्माण किसी कारखाने में नहीं, सिर्फ मानव शरीर में ही होता है। कौशिक का लक्ष्य 100 से अधिक बार रक्तदान करना है।
Hero of the Republic: Blood donation to Rakesh Kaushik