जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता ने बताया कि गत वर्ष बांध का जल स्तर 25 फीट तक पहुंच गया था, लेकिन इस बार जिस तरह मानसून की सक्रियता बनी है, उससे अनुमान है कि इस बार बांध का जलस्तर गत वर्ष के मुकाबले अधिक पहुंच सकता है और फिलहाल मोरेल नदी में भी पानी की आवक बनी हुई है। उन्होंने बताया कि बांध में मोरेल बांध में बढ़ते जल स्तर को देखते हुए विभाग के अधिकारी चौकस हैं।
मोरेल बांध दौसा एवं सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों के लिए लाइफ लाइन माना जाता है। बांध का निर्माण कार्य सन 1948 में शुरू होकर चार साल बाद 1952 में पूरा हुआ था। बांध का कैचमेंट क्षेत्र दौसा जिले में होने से इसका रख रखाव भी दौसा जिला प्रशासन के जिम्मे है। इस बांध से दो नहरें मुख्य एवं पूर्व नहरोंं द्वारा हर साल रबी की फसलों के लिए बांध में उपलब्ध पानी के आधार पर नहरों से पानी छोड़ा जाता है।
दौसा जिले से गुजरने वाली पूर्व नहर कुल 6705 हैक्टेयर भूमि को सिंचाई करती है। 31.4 किमी लंबी इस नहर से दौसा जिले की 1736 हैक्टेयर भूूमि सिंचित होती है। इस नहर से कुल 28 गांवों में सिंचाई होती। जिसमें दौसा जिले के 13 एवं सवाई माधोपुर जिले के 15 गांव शामिल हैं। बांध के पानी का सबसे अधिक लाभ सवाई माधोपुर जिले की बौली एवं मलारना डूंगर तहसीलों के कुल 55 गांवों को होता है। इन गांवों की कुल 12 हजार 388 हैक्टेयर भूमि पर बांध की मुख्य नहर से सिंचाई होती है। मुख्य नहर की कुल लंबाई 28 किमी है।