जिले में पिछले छह वर्ष में मात्र 300 सौर ऊर्जा #solar_power संयंत्र लगे हैं, जबकि बिजली थ्री फेज कनेक्शन हजारों की संख्या में हैं। वर्तमान में दौसा जिले में कहीं पर पांच सौ तो कहीं पर सात सौ फीट गहराई में भी पानी नहीं मिल रहा है। जबकि सौर ऊर्जा संयंत्र इतनी गहराई से पानी नहीं खींच पाते हैं।
छह वर्ष पहले आई थी योजना
सरकार ने उद्यान विभाग के मार्फत किसानों के लिए 2012-13 में 86 प्रतिशत अनुदान पर सौरऊर्जा संयंत्र लगाना शुरू किया था। उस समय संयंत्र पर 5 लाख रुपए की लागत आती थी, किसान को 86 प्रतिशत अनुदान मिलता था। यानि पांच लाख रुपए पर किसान को मात्र 70 हजार रुपए ही जमा कराने होते थे और 4 लाख 30 हजार रुपए का अनुदान मिलता था। वर्तमान में सौरउर्जा पम्प सैट पर सरकार ने अनुदान कम कर 60-70 प्रतिशत तक कर दिया है।
सरकार ने उद्यान विभाग के मार्फत किसानों के लिए 2012-13 में 86 प्रतिशत अनुदान पर सौरऊर्जा संयंत्र लगाना शुरू किया था। उस समय संयंत्र पर 5 लाख रुपए की लागत आती थी, किसान को 86 प्रतिशत अनुदान मिलता था। यानि पांच लाख रुपए पर किसान को मात्र 70 हजार रुपए ही जमा कराने होते थे और 4 लाख 30 हजार रुपए का अनुदान मिलता था। वर्तमान में सौरउर्जा पम्प सैट पर सरकार ने अनुदान कम कर 60-70 प्रतिशत तक कर दिया है।
जिस किसान के पास बिजली कनेक्शन नहीं है, उसको 70 प्रतिशत और जो सौरऊर्जा संयंत्र लगने के बाद बिजली कनेक्शन कटवाने का शपथ पत्र दे देता है उसको मिलेगा 60 प्रतिशत अनुदान। जिन किसानों के पास बिजली कनेक्शन है, उनको सौरऊर्जा पम्प सैट नहीं दिया जाता है। हालांकि अब सौरऊर्जा पम्पसैट की कीमत करीब 3 लाख रुपए के आसपास है।
तकनीकी दिक्कतें भी आड़े
उद्यान विभाग की ओर से किसानों को अनुदान पर दिए जाने वाले सौरऊर्जा संयंत्र 3 व 5 एचपी के पम्प सैट लगाए जा रहे हैं। इनमें 75 व 100 मीटर के हैड दिए जाते हंै। ऐसे में ये पम्पसैट अधिक गहराई से पानी नहीं खींच पाते हैं। वहीं बिजली से चलने वाले पम्पसैट कितनी भी गहराई से पानी खींच लेते हैं। बिजली कनेक्शन वाले पम्पसैट 7.5,10 व 12 एचपी के हैं।
एक वर्ष डिस्कॉम में चली गई थी योजना
सौरऊर्जा संयंत्र पम्पसैट योजना 2016-17 में उद्यान विभाग से लेकर बिजली निगम के पास चली गई थी। डिस्कॉम कार्यालय में अधिक कागजी कार्यवाही के कारण किसानों ने रुचि नहीं दिखाई तो योजना वापस उद्यान विभाग को सौंप दी गई।
सौरऊर्जा संयंत्र पम्पसैट योजना 2016-17 में उद्यान विभाग से लेकर बिजली निगम के पास चली गई थी। डिस्कॉम कार्यालय में अधिक कागजी कार्यवाही के कारण किसानों ने रुचि नहीं दिखाई तो योजना वापस उद्यान विभाग को सौंप दी गई।
विभाग में नहीं है अभियंता
सरकार ने पूरे प्रदेश में यह योजना उद्यान विभाग को सौंप तो रखी है, लेकिन विभाग को एक भी अभियंता नहीं दे रखा है। जबकि सौर ऊर्जा पम्ससैट में तकमीना आदि बनाने का काम तकनीकी है। ऐसे में विभाग में विद्युत निगम से भी काम कराना पड़ता है।
सरकार ने पूरे प्रदेश में यह योजना उद्यान विभाग को सौंप तो रखी है, लेकिन विभाग को एक भी अभियंता नहीं दे रखा है। जबकि सौर ऊर्जा पम्ससैट में तकमीना आदि बनाने का काम तकनीकी है। ऐसे में विभाग में विद्युत निगम से भी काम कराना पड़ता है।
फैक्ट फाइल
वर्ष पम्पसैट
2012-13 83
2013-14 114
2014-15 26
2015-16 27
2016-17 0
2018-19 39
कुल 300 इनका कहना है…
सौरऊर्जा पम्पसैट किसानों के लिए अच्छी योजना है। एक बार लगाने के बाद बिजली के बिल का झंझट ही नहीं है, लेकिन गिरते भूजल स्तर में अधिक एचपी व हैड की लम्बाई की जरूरत है।
फतहलाल सैनी, उद्यान विभाग अधिकारी दौसा
वर्ष पम्पसैट
2012-13 83
2013-14 114
2014-15 26
2015-16 27
2016-17 0
2018-19 39
कुल 300 इनका कहना है…
सौरऊर्जा पम्पसैट किसानों के लिए अच्छी योजना है। एक बार लगाने के बाद बिजली के बिल का झंझट ही नहीं है, लेकिन गिरते भूजल स्तर में अधिक एचपी व हैड की लम्बाई की जरूरत है।
फतहलाल सैनी, उद्यान विभाग अधिकारी दौसा