इससे प्रतियोगिता के सफल संचालन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से 63 वीं जिला स्तरीय द्वितीय चरण की प्रतियोगिता के लिए राजकीय उ”ा प्राथमिक विद्यालय श्यालावास खुर्द को चुना गया। इस विद्यालय में खिलाडिय़ों को बैठने तक के लिए जगह नहीं है। ऐसे में विद्यालय से महज 20 मीटर दूरी पर ही स्थित राधेरानी मैरिज गार्डन में प्रतियोगिता का उदघाटन समारोह करना पड़ा।
इसके बाद क्रिकेट गांधी ग्राउण्ड, बास्केटबॉल व हैण्डबॉल के लिए संत फ्रांसिस का खेल मैदान मांगना पड़ा। जबकि जिमनास्टिक विद्यालय परिसर में ही आयोजित करानी पड़ी। जबकि इस प्रतियोगिता में 27 विद्यालयों के 325 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया है। इसमें टेबिल टेनिस व तैराकी के लिए कोई टीम का पंजीयन नहीं हुआ।
खास बात यह है कि शिक्षा विभाग की ओर से प्रतियोगिता आयोजित करने से पहले खेल मैदान एवं भौतिक सुविधाओं की जांच करनी चाहिए। जबकि क्षेत्र में काफी संख्या में ऐसे विद्यालय हैं। जहां पर्याप्त खेल मैदान एवं सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन इसके बाद भी खेल मैदान व सुविधाविहीन विद्यालय का चयन किया जाना विभागीय कार्यशैली एवं प्रतियोगिता के सफल संचालन पर सवाल खड़े कर रही है।
गौरतलब है कि प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए सरकार की ओर से बजट भी देय नहीं होता है। ऐसे में प्रतियोगिता संयोजक को भी आर्थिक पेरशानी से जूझना पड़ता है। अब प्रतियोगिता के सफल संचालन के लिए भामाशाह तक ढूंढने पड़ रहे हैं। प्रतियोगिता संयोजक सुमेरसिंह श्यालावास का कहना है कि जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से विद्यालय का प्रतियोगता के लिए चयन किया गया है।