सूत्रों के अनुसार यूजीसी की ओर से 52 बीघा परिसर में स्थित कॉलेज में जिम्नेजियम निर्माण के लिए पीडब्लयूडी की ओर से दिए एस्टीमेट पर 70 लाख रुपए स्वीकृत किए गए। लेकिन विभाग ने लागत बढऩे का हवाला देकर वर्ष 2014 में 4 लाख रुपए की ओर मांग कर दी। इस पर कॉलेज प्रशासन ने विकास शुल्क में से राशि का भुगतान कर दिया। इसके बाद भी कार्यकारी एजेंसी ने वर्ष 2016 में दोबारा 20 लाख रुपए की मांग कर दी। ऐसे में खेल सुविधाओं के मद्देनजर कॉलेज ने यह राशि भी दे दी, लेकिन इसके बाद भी कार्य पूरा नहीं हो सका।
ऐसे में पीडब्यूडी की ओर से फिर 20 लाख रुपए की मांग कर दी गई। ऐसे में कॉलेज प्रशासन की ओर से तीसरी बार विकास शुल्क में से अगस्त 2018 में 11 लाख 70 हजार रुपए भी दे दिए। लेकिन इसके बावजूद भी अभी तक कार्यकारी एजेंसी की ओर से कार्य पूरा कर कॉलेज प्रशासन को जिम्नेजियम नहीं संभलाया गया है। ऐसे में सवाल यह है कि पीडब्लयूडी ने एक बार में ही भवन निर्माण का एस्टीमेट सही तरीके से नहीं बनाया।
इससे लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद खेल में अपना कॅरियर बनाने वाले विद्यार्थियों को मायूसी हाथ लग रही है। जबकि इस भवन का अधिकांश निर्माण कार्य भी हो चुका है। लकड़ी की फर्श के स्थान पर भी पत्थर बिछाए गए है। खास बात यह है कि वर्तमान में इसी परिसर में कला महाविद्यालय भी संचालित है। इससे दोनों कॉलेज में अध्ययनरत हजारों विद्यार्थी लाभ से वंचित है।