उत्तराखंड सरकार ने राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब सरकारी मेडिकल कॉलेजों से पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) करने वाले डॉक्टरों के लिए दो साल तक सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में काम करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नए नियम के लागू होने के बाद, सरकारी सीट से पीजी करने वाले डॉक्टर अगले दो साल तक किसी भी निजी अस्पताल में नौकरी नहीं कर पाएंगे।
राज्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर सीधा असर पड़ रहा है। इस चुनौती से निपटने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में, पूर्व में कैबिनेट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के नियमों में बदलाव का निर्णय लिया था, जिसे अब लागू किया जा रहा है। इस नियम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से तैयार होने वाले विशेषज्ञ डॉक्टर, राज्य की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में योगदान दें।
वर्तमान में, उत्तराखंड में पीजी की लगभग 200 सरकारी सीटें हैं, और सरकार ने अगले एक साल में इस संख्या को बढ़ाकर 400 करने का लक्ष्य रखा है। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि सरकार का लक्ष्य मेडिकल कॉलेजों में पीजी सीटों की संख्या में वृद्धि कर अधिक से अधिक संख्या में विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार करना है। इससे न केवल राज्य में डॉक्टरों की कमी दूर होगी, बल्कि आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिल सकेंगी। यह कदम ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
Published on:
19 Jun 2025 09:56 am