सुबह 5 बजे पोटियाडीह में कुत्ते ने देवनारायण साहू, घसियाराम यादव को अपना शिकार बनाया। रास्ते में जो भी दिखा उसे काटते हुए आगे बढ़ता गया। दोपहर 12 बजे तक 17 लोगों को कुत्ते ने काट लिया। इनमें बिरसिंग ध्रुव (बेलौदी), परसतराई निवासी परमेश्वरी, जगदीश्वर, सोनबाई, भुनेश्वरी सोनबेर, भूषण सोनबेर, पोटियाडीह निवासी देवनारायण साहू, घनश्याम, घसियाराम यादव, पेंडरवानी निवासी कीर्तन साहू, हेतांशु साहू (कंवर) शामिल हैं।
इधर धीरे-धीरे डॉग बाइट मरीज जिला अस्पताल पहुंचने लगे। किसी के सिर, मुंह, हाथ, पैर, सीने से लहूं बह रहा था, तो किसी के होंठ को कुत्ते ने नोंच डाला था। 6 साल की निधि ढीमर (पलारी) के हाथ को नोंच डाला। 60 साल की राम्हीन बाई (बेलौदी) की ठुड्डी को नोंच मांस निकाल लिया। ठुड्डी में तीन टांके लगाने पड़े। दोनों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा।
अस्पताल में इंजेक्शन उपलब्ध
जिला अस्पताल सलाहकार गिरीश कश्यप ने बताया कि 27 अक्टूबर की स्थिति में 500 वायल रेबिज इंजेक्शन उपलब्ध था। 7 नवंबर की स्थिति में सिर्फ 300 वायल रेबिज इंजेक्शन उपलब्ध है। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, सिविल अस्पतालों में भी डॉग बाइट इंजेक्शन पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि रेबज को संक्रामक बीमारी माना गया है। यह वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम खासकर मष्तिक को प्रभावित करता है। जब भी किसी को कुत्ता काट लें तो अस्पताल पहुंचकर उपचार कराना चाहिए। बैगा-गुनिया के चक्कर में कतई नहीं आना चाहिए। लापरवाही से जान जा सकती है।
Dog Attack: जिला अस्पताल में रोज 3 केस आ रहे
जिले में डॉग बाइट की समस्या बढ़ते जा रही है। जिला अस्पताल में रोज डॉग बाइट के 3 केस आ रहे। 6 महीने पहले मुजगहन में 5 साल की एक बच्ची को कुत्ते ने काट लिया था। तीन सप्ताह बाद बच्ची की मौत हो गई थी। 2024-25 में अब तक 1870 डॉग बाइट केस सामने आ चुके हैं। 2023-24 में 4342 केस आए थे। हर साल कुत्ते काटने की शिकायत बढ़ते जा रही है। प्रशासन स्तर पर भी इस ओर कोई प्रयास नहीं हो रहा। बड़ा सवाल : संख्या 25 हजार पार, नसबंदी बंद
धमतरी नगर निगम क्षेत्र में कुत्तों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 10 साल पहले संख्या 15 से 17 हजार थी। अब यह संख्या बढ़कर 25 हजार के पार हो गई है। 8 साल पहले नगर निगम ने लगभग 15 सौ कुत्तों की नसबंदी कराई थी। इसमें 11 लाख रूपए खर्च हुए थे। नाम मात्र नसबंदी होने के कारण इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। 8 साल बाद नसबंदी का प्रयास भी निगम द्वारा नहीं किया गया। नसबंदी को लेकर अधिकारी, जनप्रतिनिधि भी गंभीर नहीं है।
धमतरी शहरी क्षेत्र में रात में सड़कों से गुजरना खतरे से खाली नहीं है। गौरव पथ मरादेव, दानीटोला, अंबेडकर चौक, जालमपुर, लालबगीचा, जिला अस्पताल सिविल लाइन, बस्तर रोड इलाके में झुंड में कुत्ते निकलते हैं। इनके झुंड को देख पैदल, सायकल सवार, बाइक चालकों को रास्ता बदलना पड़ जाता है या डर-दहशत के बीच आगे बढ़ना पड़ता है। कार चालकों को भी कुत्ते भागकर दौड़ाते हैं।
डॉग हाउस का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में
निगम प्रशासन की ओर से शहर में आवारा कुत्ताें को रखने के लिए वर्ष-2018 में करीब 6 लाख रूपए की लागत से अर्जुनी स्थित कांजी हाउस के एक हिस्से में डॉग हाउस बनाने की योजना थी, ताकि शहरवासी कुत्तों के आतंक से मुक्त हो सके, लेकिन यह योजना निगम के फाइलों में धूल खा रही है। यह प्रस्ताव बजट में भी शामिल किया गया था। इसके पूर्व नगर पालिका काल में सीएमओ सुंदरानी के समय भी डॉग हाउस के लिए प्रयास शुरू हुआ था, लेकिन उनके ट्रांसफर के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।