25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Ganesh Utsav 2025: धमतरी में 1964 में सजी थी पहली झांकी, इस साल सजा रहे खाटू श्याम का दरबार…

Ganesh Utsav 2025: धमतरी शहर के आमापारा वार्ड में एक गणेश पंडाल ऐसा है, जहां 63 साल से विघ्नहर्ता की स्थापना होते आ रही है।

2 min read
Google source verification
Ganesh Utsav 2025: धमतरी में 1964 में सजी थी पहली झांकी(photo-patrika)

Ganesh Utsav 2025: धमतरी में 1964 में सजी थी पहली झांकी(photo-patrika)

Ganesh Utsav 2025: छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर के आमापारा वार्ड में एक गणेश पंडाल ऐसा है, जहां 63 साल से विघ्नहर्ता की स्थापना होते आ रही है। 1962 से ही यहां आकर्षक झांकी सजाने का दौर शुरू हो गया था। बालकला मंदिर गणेशोत्सव समिति आमापारा आस्था, विश्वास और एकता की मिसाल है।

समिति की सबसे बड़ी बात ये है कि गणेशोत्सव के पूरे पर्व में एक रूपए भी मजदूरी पर खर्च नहीं करते। टैंट लगाने, बांस-बल्ली लगाने, मूर्ति निर्माण, डेकोरेशन, पेंटिंग आदि काम समिति के 40 सदस्य ही करते हैं। इस समर्पण भाव से समिति हर साल ढाई से तीन लाख रूपए की बचत कर लेती है।

उत्साह ऐसा.. एक साल पहले झांकी की प्लानिंग

समिति द्वारा सिर्फ जरूरी सामानों की खरीदारी की जाती है। समिति के संस्थापक सदस्य बिशेसर पटेल और प्रकाश शर्मा ने बताया, 1962 में स्व. खमन मीनपाल, स्व. विष्णु पटेल, स्व. राजकुमार बैरागी, स्व. किशन पटेल, स्व. सूरज पाल, स्व. किशन यादव, स्व. रविन्द्र पटेल समिति के कर्णधार थे। इन्होंने ने ही गणेशोत्सव का बीज बोया। इसका निर्वहन वर्तमान पीढ़ी भी कर रही है।

समिति का उद्देश्य लोगों को सामाजिक सौहार्र्द, आपसी भाईचारा और धार्मिक-सांस्कृतिक विचारों से अवगत कराना है। वार्ड चंदा, स्वैच्छिक चंदा, आपसी तालमेल से भगवान की स्थापना करते हैं। हर साल अलग-अलग झांकी सजाते हैं। सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग से जुड़ी लगभग सभी झांकी सजा चुके हैं।

पिछले साल अयोध्या धाम की झांकी सजाए थी। इस साल खाटू श्याम बाबा की झांकी सजा रहे हैं। इसके पहले सीता स्वयंवर, द्रौपदी चीरहरण, शेष शैय्या, कृष्ण लीला, सुदामा-कृष्ण मिलन, काल यवन, हिरण्यकश्यपु वध, केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ आदि झांकी सजा चुके हैं।

मूर्ति बनाना, सजावट और मजदूरी खुद कर 3 लाख बचा रहे

बिशेसर पटेल ने बताया कि आकर्षक मूर्ति स्थापना, आकर्षक स्थल सजावट के चलते ही समिति की लोकप्रियता बढ़ी। धमतरी पहुंचने वाला प्राय: हर शस आमापारा पंडाल में गणेश झांकी देखने जरूरत पहुंचता है। स्थल सजावट प्रतियोगिता में समिति को 35 बार प्रथम पुरस्कार और झांकी सजावट में 20 बार प्रथम पुरस्कार मिल चुका है। उन्हाेंने बताया कि अब डेकोरेशन के कई नए साधन आ गए हैं। पहले कार्टून (पुट्ठा), बोरी, कपड़े को पेंट कर डेकोरेशन करते थे।

बालकला मंदिर गणेश उत्सव समिति के सदस्यों में इस उत्सव को लेकर अलग ही उत्साह रहता है। पहले स्व. शारदा कोसरिया, स्व. रामआसरा,स्व. होरीलाल धीवर सेवा देते थे। अब इनके पुत्र मुकेश कोसरिया, देवेंद्र(पिंकी) यादव,गुड्डू धीवर सेवा दे रहे। इसी तरह अन्य बुजुर्गों के पोता,पुत्र भी सेवा दे रहे। झांकी रखने की तैयारी एक साल पहले ही हो जाती है। पूरे 11 दिनों तक समिति के लोग अपना काम छोड़कर चलित झांकी आयोजन में सेवा देते हैं। भगवान गणेश व झांकी की मूर्तियों का निर्माण रूपेश यादव और गोलू यादव करते हैं।