14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एम्बुलेंस वसूल रही थी 10 हजार, चिंतित होकर अजीज भाई ने बना दी ‘बाइक एम्बुलेंस’, मुफ्त में मरीजों को पहुंचा रहे अस्पताल

इंटरनेट से सीखा बाइक पर एंबुलेंस बनाने का तरीका, 30 हजार रुपये खर्च कर अपनी बाइक पर ही बना दी मरीजों की जीवन वाहिनी।

3 min read
Google source verification
news

एम्बुलेंस वसूल रही थी 10 हजार, चिंतित होकर अजीज भाई ने बना दी 'बाइक एम्बुलेंस', मुफ्त में मरीजों को पहुंचा रहे अस्पताल

धार/ मध्य प्रदेश में तेजी से बिगड़ रहे कोरोना के हालात में कई जगहों पर लोगों ने आपदा के भीतर अवसर खोजने शुरु कर दिये हैं। इसके कई उदाहरण आप में से कई लोग महंगाई के रूप में देख रहे होंगे। ऐसे ही आपदा में अवसर ढूंढने का काम सूबे के धार में एम्बुलेंस संचालकाें ने खाेजना शुरू कर दिया। आलम ये रहा कि, ये निजी एंबुलेंस संचालक बीमारों से मरीज की कंडीशन देखते हुए 10 हजार रुपये तक वसूल रहे थे। एंबुलेंस संचालकों के इस रवैय्ये को जानकर शहर के वसंत विहार कॉलोनी में रहने वाले बीई मैकेनिकल अजीज खान ने थोड़ा ज्ञान इंटरनेट से भी हासिल कर 'बाइक एम्बुलेंस' बना दी और अब अजीज भाई पीड़िताें को अपनी एंबुलेंस में मुफ्त अस्पताल पहुंचाते हैं।

पढ़ें ये खास खबर- MP में ऑक्सीजन प्लांट लगाने वालों को सौगात : 50% प्रोत्साहन अनुदान के साथ 1 रुपए यूनिट मिलेगी छूट


शहर के लिये 'जीवन वाहिनी' बन चुकी है ये बाइक एंबुलेंस

अजीज भाई की जुगाड़ से बनी ये बाइक एंबुलेंस शहर के लिये 'जीवन वाहिनी' बन चुकी है। इस एम्बुलेंस काे बाइक से टाेचन कर मरीज काे लेटाकर अस्पताल पहुंचाया जा सकता है। इस खास बाइक एंबुलेंस में जरूरी दवाइयाें से लेकर 25 किलाे ऑक्सीजन सिलेंडर तक की व्यवस्था की गई है। अजीज भाई किसी भी मय अपनी एंबुलेंस बाइक मुफ्त में शहर के किसी भी अस्पताल ले जाने देते हैं। लेकिन, इनकी शर्त ये है कि, अगर मरीज को ले जाते समय ऑक्सीजन की जरूरत पड़े, तो अस्पताल से वापस लौटते समय मरीज के परिजन को सिर्फ ऑक्सीजन सिलेंडर में गैस भरवा कर देनी होती है। अजीज भाई के मुताबिक, ये एंबुलेंस फिलहाल सात दिन पहले ही बकर तैयार हुई है और इसी दौरान अब तक इसपर 8 लाेगों काे मुफ्त में सकुशल अस्पताल छोड़ा गया है।

पढ़ें ये खास खबर- कांग्रेस के कद्दावर नेता का निधन, पार्टी में शोक की लहर, कमल नाथ और दिग्विजय सिंह ने दी श्रद्धांजलि


मरीज के साथ दाे व्यक्ति भी हो सकते हैं सवार

वर्ष 2006 से पहले वे शहर के पाॅलीटेक्निक काॅलेज में व्याख्याता थे। 2006 में उन्होंने खुद का उद्याेग डाला। अजीज के मुतीबिक, मौजूदा समय में अकसर लोगों की जान सिर्फ सुविधाओं के अभाव में ही जा रही हैं। इसी बीच उनके एक करीबी द्वारा उन्हें एक एम्बुलेंस का बिल दिकाया गया, जिसमें मरीज काे ले जाने का शुल्क दस हजार रुपये लिखा हुआ था। ये देखकर वो काफी हैरान रह गए। अजीज भाई ने सोचा कि, जिन लोगों की हैसियत भी नहीं उन्हें अस्पताल पहुंचने से पहले ही ये नाजाइज खर्च चुकाना पड़ रहा है।

पढ़ें ये खास खबर- International Workers’ Day 2021 : क्या आप जानते हैं- आखिर क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस? जानिए इतिहास


बाइक एंबुलेस बनाने की ठानी

आपदा को अवसर बना बैठे इन निजी एंबुलेंस संचालकों को सबक सिखाने के लिये अजीज भाई को कम से कम एक एंबुलेंस खरीदनी पड़ती, लेकिन इतनी रकम अजीज भाई के पास भी नहीं थी। तब उन्होंने अपनी बाइक को को एम्बुलेंस बनाने का निर्णय लिया। अजीज ने पहले इंटरनेट से एम्बुलेंस में हाेने वाली सुविधाओं की जानकारी जुटाई। फिर एम्बुलेंस बनाना शुरू किया। इसमें दाे शाॅकप, रबर के पहिए, फेब्रिकेशन सहित उसकी चाैड़ाई इतनी रखी कि मरीज के साथ दाे लाेग और बैठ सकें। एम्बुलेंस निर्माण की लागत 30 हजार रुपये आई। दाे दिन में बाइक एम्बुलेंस बनकर तैयार हाे गई और अब ये किसी भी समय लोगों की जान बचाने को तैयार रहती है।


कर्मचारी बंशी के भाई की जान बची

बाइक एम्बुलेंस से अजीज की फैक्टरी के कर्मचारी बंशी के भाई अनिल की जान बची है। अजीज भाई बताते हैं सलकनपुर के बंशी के भाई की तबीयत सीरियस होने पर बंशी बाइक से एम्बुलेंस टाेचन कर उसे अस्पताल ले आए। अनिल को समय पर इलाज मिल जाने की वजह से अब उनकी हालत खतरे से बाहर है। इस वाहन से पिछले एक सप्ताह के भीतर ही सात अन्य लोगों की भी जान बचाई जा सकी है। अजीज भाई का कहना है कि, महंगाई के इस दौर में सरकार भी बाइकों पर इस तरह की एंबुलेंस बनवाकर ग्राम पंचायताें में इस सस्ती सुंदर एंबुलेंस की व्यवस्था कर सकती है, ताकि कच्चे-पक्के और सकरे से सकरे इलाके में रहने वाले मरीज की भी समय पर जान बचाई जा सके।