
महिला के दायीं ओर था दिल, प्रसव में डॉक्टरों के हाथ-पैर फूले, पति हिम्मत कर बोला- आप ही करो ऑपरेशन
धार. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मानव शरीर में दिल ( heart ) बायीं ओर होता है, लेकिन मध्यप्रदेश के धार ( Dhar ) में एक अजीब मामला सामने आया है। पिछले दिनों प्रसव ( delivery ) के लिए जिला अस्पताल में आईं एक महिला ( pregnant women ) की रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी चौंक गए क्योंकि उसका हृदय दाहिनी ओर था। डॉक्टरों के मुताबिक लाखों लोगों में से एक या दो लोगों में ऐसा होता है, जिसे मेडिकल जुबान में ‘डेक्स्ट्रोकार्डिया’ कहते हैं।
डॉक्टरों ने हाई रिस्क डिलीवरी को देखते हुए उसे इंदौर ले जाने के लिए कहा, लेकिन पति ने उन पर भरोसा जताते हुए वहीं पर ऑपरेशन करने के लिए कहा। डॉक्टरों ने भी जी जान लगा दी और महिला का ऑपरेशन कर सुरक्षित प्रसव करवा लिया। ऑपरेशन के समय कॉर्डियोलॉजिस्ट का होना जरूरी था क्योंकि जरा सी गलती में जच्चा या बच्चा किसी की जान जाने या महिला में विकृत बीमारी फैलने का अंदेशा था।
पति ने इंदौर ले जाने से कर दिया इनकार
एनेस्थिटिक डॉ. गिरीराज भूर्रा ने बताया कि बदनावर निवासी 23 वर्षीय भावना को उसका पति श्याम लाल प्र्रसव के लिए जिला अस्पताल लेकर आया था। डॉक्टरों ने जांच कि तो पता चला कि उसका दिल तो दाहिने तरफ है। इधर गर्भ का पूरा समय होने के बाद भी दर्द नहीं होना और पूर्व में भी एक प्रसूति ऑपरेशन से होने के कारण दूसरी में भी ऑपरेशन से होनी थी। हृदय की स्थिति विपरित देखकर पति को सलाह दी कि वह मरीज को इंदौर मेडिकल कॉलेज ले जाएं, ताकि ऑपरेशन ठीक से हो पाए। इसके बावजूद श्याम ने इनकार कर दिया।
शरीर में खून भी था कम, पहले ही चढ़ाई बॉटल
पति की हिम्मत देखकर विपरित परिस्थितियों में भी डॉक्टरों ने केस हाथ में लिया। महिला का हिमोग्लोबिन भी केवल 8.5 ग्राम था, जिससे ऑपरेशन और जटिल हो गया। एमडी मेडिसिन डॉ. हेमंत नरगावे ने ऑपरेशन की तैयारी की। मरीज के परिजन से लिखवा लिया गया कि वे हर स्थिति के लिए खुद जिम्मेदार रहेंगे। इसके बाद डॉ. नरगावे ने मरीज को फिटनेस दी, वहीं एनेस्थीसिया डॉ. गिरीराज भूर्रा ने दिया। डॉ. अनिता बघेल ने महिला का ऑपरेशन किया। खून की कमी को देखते हुए मरीज को पहले ही ब्लड चढ़ा दिया गया था। अब भावना व जन्मा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
इंदौर ले जाने पर हो सकता था नुकसान
डॉक्टरों का कहना है कि विपरित दिशा में हृदय होने से कॉर्डियोलॉजिस्ट का ऑपरेशन के समय मौजूद होना जरूरी है, इसीलिए इंदौर जाने के लिए कहा था। डॉ. भूर्रा का कहना है कि पूरा समय होने से इंदौर ले जाने में भी गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता था। हालाकि ऑपरेशन गंभीर था, लेकिन डॉक्टरों के तालमेल और अच्छे इलाज से सब कुछ ठीक हो गया। डॉ. नरगावे का कहना है कि जिला अस्पताल में आने वाला यह संभवत: पहला मामला है। भावना में हृदय की यह स्थिति जन्मजात है।
पति ने दिखाया विश्वास
हृयद दूसरी दिशा में होने से ऑपरेशन के समय गड़बड़ी की संभावनाएं ज्यादा होती है। पहले ही हमने ईसीजी, फिजिशियन फिटनेस व एचबी की जांच करवा ली थी। इधर मरीज के पति का हम पर विश्वास और डॉक्टरों का सहयोगात्मक काम, ऑपरेशन ठीक रहा।
-डॉ. अनिता बघेल, स्त्री रोग विशेषज्ञ
Published on:
10 Aug 2019 12:50 pm
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