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कोरोना ज्योतिष: 4 मई को लॉक डाउन समाप्त होने के साथ ही मंगल निकल जाएंगे मकर से, जानिये फिर कब क्या क्या होगा

3 मई तक लॉक डाउन, जानिये क्या कहते हैं ज्योतिष...

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ending date of corona virus from world, what astrology planets says

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जब से कोरोना को लेकर लॉकडाउन की स्थिति बनी है, तभी से लॉकडाउन की तारीख को लेकर कई तरह की बातें सामने आ रही है। पहले जहां 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन की बात थी, तो इसके पीछे कारण दिया गया कि 13 अप्रैल को मेष संक्रांति... वहीं 13 को मेष संक्रांति को ही विषुपत संक्रांति के तहत रोग के दूर होने का समय बताया जा रहा था।

वहीं अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 मई तक लॉकडाउन को बढ़ाने का निर्णय को लेकर एक बार फिर गर्मागरम बहस शुरू हो गई है। वहीं इसे लेकर कई ज्योतिषों ने भविष्यवाणी भी शुरु कर दी है। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि अगर आप उस दिन के ग्रह स्थितियों को जानेंगे तो आप भी चौंक जाएंगे।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ज्योतिषीय गणना के मुताबिक मंगल, जिसे विनाश और संघर्ष का कारक कहा गया है वह 22 मार्च को शनि की राशि मकर में आए। यहां आकर मंगल उच्च के हो गए। इससे मंगल का प्रभाव बढ़ गया। इसमें भी खास बात ये है कि इसी दिन जनता कर्फ्यू लगाया गया।

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इसके बाद 24 मार्च से पूरे देश में लॉक डाउन घोषित कर दिया गया और अब 4 मई से जब लॉक डाउन समाप्त होगा तो इसी समय मंगल भी मकर से निकल जाएंगे। यानी इन दिनों जो पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है, उसमें मंगल और शनि का बड़ा हाथ है। शनि मंगल के योग के समाप्त होते ही दुनिया भर में फैले कोरोना के कहर में कमी आने लगेगी।

पीड़ित हो गए गुरु

भारत में कोरोना पीडि़तों की संख्या 30 मार्च को अचानक से बढ गयी। यहां भी कमाल की बात यह रही कि इसी दिन गुरु मकर राशि में पहुंचे और शनि मंगल के बीच में फंसकर पीड़ित हो गए। गुरु को धर्म का कारक माना गया है।

ज्योतिषी आंकलन के अनुसार गुरु के पीड़ित होने से धर्म-कर्म के कार्यों में बाधा आ रही है। मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद, चर्च सभी सीमित तरीके से अपने दैनिक कार्यों को पूरा कर पा रहे हैं। लेकिन 4 मई को मंगल मकर राशि से निकल कर कुंभ राशि में आ जाएंगे। इससे बृहस्पति को बल मिलेगा। वहीं जनता के बीच व्याप्त भय कम होने लगेगा।

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लेकिन इसके बावजूद इस दौरान एक चिंता का विषय यह भी है कि बृहस्पति, जो स्थिरता एवं विकास के प्रतीक हैं, वह इस समय तेज गति में चल रहे हैं जिसे ज्योतिषीय भाषा में अतिचारी कहा गया है। इस स्थिति में विकास दिखेगा लेकिन यह सच से दूर हो सकता है।

4 मई : देश के कई हिस्सों में तालाबंदी में ढील!

ग्रहों की चाल को देखकर माना जा रहा है 4 मई को मंगल के मकर राशि से निकलते ही देश के कई हिस्सों में तालाबंदी में ढील होगी। व्यवसायों के लिए कई प्रकार की छूट व आम जीवन में भी सुधार का आरंभ होगा। इस से देश में कोरोना का प्रभाव भी कम होता दिखने लगेगा।

बृहस्पति तनाव काम करेगा!

वहीं 11 मई को शनि और 14 मई को बृहस्पति प्रतिगामी (वक्री) हो जाएंगे। वहीं ये भी माना जाता है कि जब भी कोई ग्रह अपनी नीच राशि में होकर प्रतिगामी हो जाता है तो वह उच्चतम फल देता है। ऐसे में बृहस्पति का प्रतिगमन निश्चित रूप से मौजूदा स्थिति में तनाव काम करेगा।

जहां तक निर्णय लेने का सवाल है, यह सबसे महत्वपूर्ण अवधियों में से एक होगा। विश्व के नेताओं को अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और व्यवसायों को बचाने के लिए कुछ कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता होगी। यह मौजूदा नीतियों के आत्मनिरीक्षण और समीक्षा का समय होगा।

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4 मई : बृहस्पति फल देने में सक्षम

वहीं सूर्य 13 अप्रैल से अपनी उच्च राशि राशि मेष में विराजमान हो गए हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 4 मई से मंगल के मकर से निकल जाने से बृहस्पति अपनी पूर्ण शक्ति से फल देने में सक्षम हो जाएंगे और धीरे-धीरे अपने सुधारात्मक प्रभाव से लोगों के जीवन में उन्नति को सुनिश्चित करेंगे।

इसके बाद 30 जून को, प्रतिगामी बृहस्पति अपनी राशि धनु में आ जाएंगे जिससे उन्हें और अधिक बल मिलेगा। इस स्थिति में वह राहु और केतु की नकारात्मक ऊर्जा को कम करेंगे। इस स्थिति के कारण, विश्व अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए एक सामान्य रोडमैप पर वैश्विक नेताओं के बीच आम सहमति होने की संभावना है। वहीं ग्रह ये भी संकेत दे रहे है कि इसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका जांच के दायरे में आएगी और एक नई विश्व स्वास्थ्य एजेंसी के गठन का विचार होगा।

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यह वह अवधि है जब बृहस्पति और शनि दोनों ही प्रतिगामी गति में यानी वक्री रहेंगे, जो मौजूदा कानूनों और नौकरियों, व्यवसायों और स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे से संबंधित नीतियों में निरंतर परिवर्तन को दर्शाता है। इसके बाद 16 अगस्त को मंगल मेष राशि में प्रवेश करेंगे और शनि व मंगल दोनों मिलकर कर्क और तुला राशि को दृष्टिगत करेंगे जिससे मौजूदा व्यवसायों व उद्योगों का पुनर्गठन हो सकता है साथ ही अर्थव्यवस्था में कुछ उतार-चढ़ाव भी देखने को मिलेंगे।

वृश्चिक में केतु: दवाओं और टीकों की उपलब्धता

जबकि 13 सितंबर को बृहस्पति मार्गी यानी सीधी चाल से चलने लगेंगे। ऐसे में पहले संस्थागत सभी नई नीतियां अब परिणाम दिखाना शुरू कर देंगी। 23 सितंबर को राहु और केतु का राशि परिवर्तन होगा। राहु वृषभ और केतु वृश्चिक राशि में आएंगे। इसके बाद से जीवन के सभी क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण सुधार दिखेंगे। यहां वृश्चिक में केतु खतरनाक वायरस से निपटने के लिए दवाओं और टीकों की उपलब्धता को इंगित करता हैं। इस समय विश्व में एक नई राजनीतिक संरचना के स्थापित होने की भी तैयारी हो सकती है।