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Ganesh Chaturthi 2025: इस शहर में है भगवान गणेश के 32 स्वरूपों वाला मंदिर, क्या है चमत्कारी इतिहास

Lord Ganesh Temple: देशभर में आज गणेश चतुर्थी की धूम है। भगवान गणेश हिंदू धर्म के प्रथम पूज्य देव हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश के एक नहीं बल्कि 32 रूप हैं। भारत में एक ऐसा खास मंदिर है जहां, इनके 32 रूपों की पूजा होती है। चलिए आज हम आपको इस मंदिर के बारे में बताते हैं।

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भारत

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Anamika Mishra

Aug 27, 2025

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कर्नाटक के मैसूर शहर में मौजूद नंजुंदेश्वर मंदिर। (Image Source: Meta AI)

Ganesh Chaturthi 2025 Temple: आज, 27 अगस्त 2025 को देशभर में गणेश चतुर्थी की धूम है। यह पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो कि 10 दिनों तक चलता है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश को सिर्फ एक नहीं बल्कि 32 रूपों में पूजा जाता है। भारत के कर्नाटक में मैसूर के पास एक शिव मंदिर में भगवान गणेश के सभी 32 रूप मौजूद हैं। इस आर्टिकल में हम आपको मंदिर के इतिहास के बारे में बताएंगे।

श्रीकांतेश्वर मंदिर (Srikanteshwar Temple Nanjangud Mysore)

कर्नाटक के मैसूर शहर के पास नंजनगुड में स्थित एक प्राचीन और विशाल द्रविड़ शैली का शिव मंदिर है। इस मंदिर का नाम "नंजुंदेश्वर" मंदिर है। इस मंदिर को श्रीकांतेश्वर मंदिर या नंजुंदेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर भगवान शिव के उस रूप से आता है जिसने समुद्र मंथन से निकले जहर को पी लिया था। यह मंदिर कपिला नदी के किनारे स्थित है और अपनी खूबसूरत नक्काशी और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है, साथ ही यहां हर साल एक विशाल रथ उत्सव का आयोजन भी होता है।

भगवान गणेश के 32 स्वरूप मौजूद (32 Forms Of Lord Ganesh)

नंजुंदेश्वर या श्रीकांतेश्वर मंदिर के नाम से भी जाने जाने वाले इस मंदिर में भगवान गणेश के 32 रूपों की पूजा होती है। यह मंदिर लगभग एक हजार साल पुराना है और पश्चिमी गंगा राजवंश के राजाओं द्वारा बनवाया गया था। यहां श्रीबाल गणपति, तरुण गणपति, भक्ति, वीर, शक्ति, द्विज, सिद्ध, उच्छिष्ट, विध्न, क्षिप्र, हेरम्ब, लक्ष्मी, महागणपति, विजय, नृत्य,उर्ध्व, एकाक्षर, वरद, त्र्यक्षर, क्षिप्रप्रसाद, हरिद्रा, एकदंत, सृष्टि, उद्दंड, ऋणमोचन, ढुण्ढि, द्विमुख, त्रिमुख, सिंह, योग, दुर्गा और संकष्टहरण गणपति के स्वरूप मौजूद हैं।

गणेश मंदिर का इतिहास (History Of Ganesha Temple)

ये मंदिर मैसूर से लगभग 22-26 किलोमीटर दूर, कपिला नदी के किनारे नंजनगुड शहर में स्थित है, जिसे दक्षिण का प्रयाग भी कहा जाता है। यह द्रविड़ शैली में बना है और 147 खंभों पर खड़ा है। गोपुरम और दीवारों पर की गई शिल्पकारी देखने योग्य है।मंदिर में भगवान शिव (नंजुंदेश्वर/श्रीकांतेश्वर) के साथ ही गणेशजी और पार्वतीजी के भी अलग-अलग गर्भगृह हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस मंदिर में आने वाले भक्तों के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं, जो इसे एक पवित्र और चमत्कारी स्थल बनाता है।