scriptSharadiya Navratri day 7- देवी कालरात्रि का दिन है नवरात्रि की सप्तमी, जानें पूजा विधि और महत्व | Kalratri of Sharadiya Navratri is the saptami of Durga puja | Patrika News

Sharadiya Navratri day 7- देवी कालरात्रि का दिन है नवरात्रि की सप्तमी, जानें पूजा विधि और महत्व

locationभोपालPublished: Oct 11, 2021 08:16:31 pm

दुर्गा पूजा में आखिरी के चार दिन बेहद विशेष

sharadiya navratri 7th day

sharadiya navratri 7th day

शक्ति की देवी के पर्व शारदीय नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, वहीं यह पर्व दुर्गा पूजा का पर्व भी कहलाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार मंगलवार,12 अक्टूबर 2021 को आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। ऐसे में यह दिन नवरात्रि का सातवां दिन होने के चलते इस दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।

मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा से भक्त के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। वहीं मां कालरात्रि को शनि की संचालक देवी भी माना जाता है, ऐसे में इनकी पूजा से शनिदेव भी शांत होते हैं।

दरअसल शारदीय नवरात्र के इस पर्व को दुर्गा पूजा भी कहा जाता है, जहां एक ओर नवरात्रि केवल 9 दिन की होती हैं, वहीं ये दुर्गा पूजा पूरे 10 दिनों तक मनाया जाने वाला त्‍यौहार है और इसका हर एक दिन का अपना एक अलग महत्‍व है।

Shardiya Navratri 2021 Calendar

दुर्गा पूजा में आखिरी के चार दिन बेहद पवित्र माने जाते हैं, जो कालरात्रि से शुरु होकर दशमी तक जाते हैं। दरअसल दुर्गा पूजा के तहत नवरात्रि के सातवें दिन से महा पूजा की शुरुआत होती है, इसे महा सप्‍तमी के नाम से जाना जाता है ।

मां कालरात्रि का स्वरूप
जानकारों के अनुसार नवरात्रि का 7वें दिन माता को खुश करने के लिए कई तांत्रिक उपाय भी किए जाते हैं। मां कालरात्रि मां दुर्गा का ही 7वां रुप हैं, जो अत्यंत भयंकर हैं। इनके शरीर का रंग काला होने के साथ ही मां कालरात्रि के गले में नरमुंड की माला भी है। कालरात्रि के तीन नेत्र हैं और उनके केश खुले हैं।

यह गर्दभ पर सवार हैं। देवी मां के इस रूप के चार हाथ हैं, जिनमें एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा है। वहीं हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के मुताबिक असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही दुर्गा मां ने मां कालरात्रि का रूप लिया था।

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व
मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा करने से जहां जीवन में आने वाले संकटों से रक्षा होती है, वहीं इनके प्रभाव के चलते कुंडली में शनि के कुप्रभाव का भी असर नहीं होता है।

Must Read- नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती : सप्ताहिक वार के अनुसार देवी मां का पाठ

maa kalratri mantra

शत्रु और दुष्टों का संहार करने के साथ ही मां कालरात्रि की पूजा से तनाव, अज्ञात भय और बुरी शक्तियां दूर रहती हैं।

मां कालरात्रि की पूजा विधि
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी की सुबह स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत होने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए। इनकी पूजा में नियम और अनुशासन का विशेष पालन करना आवश्यक है। मां कालरात्रि की पूजा भी मुख्य रूप से वैसे ही की जाती है जिस प्रकार से अन्य देवियों की पूजा की जाती है।

मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल,अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य आदि का अर्पण किया जाता है। इस दिन गुड़ का विशेष महत्व माना जाता है, लाल रंग मां कालरात्रि को अति प्रिय माना गया है।

वहीं सप्तमी की रात्रि में देवी की पूजा विशेष विधान से की जाती है। इस दिन कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है। सप्तमी की रात्रि को ‘सिद्धियों’ की रात भी कहा जाता है। शास्त्रों में वर्णित पूजा विधान के अनुसार पहले कलश की पूजा करनी चाहिए।

Must Read- शारदीय नवरात्र: मां जगदम्बा ने लिए कौन से अवतार? जानें यहां

maa kalratri Aarti

नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए, फिर मां कालरात्रि की पूजा की जानी चाहिए। दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन से भक्तजनों के लिए देवी मां का दरवाज़ा खुल जाता है और भक्त पूजा स्थलों पर देवी के दर्शन के लिए जुटने लगते हैं।

मनोकामना: मान्यता के अनुसार मां कालरात्रि की इस प्रकार की पूजा मृत्यु के भय से निजात दिलती है। साथ ही देवी का यह रूप ऋद्धि- सिद्धि प्रदान करने वाला है।

हवन की वस्तुएं और उनसे जुड़ी मान्यताएं
नवरात्र में हवन का विशेष महत्व माना गया है। माना जाता है कि इस दौरान यदि दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्रों द्वारा आहुतियां दी जाएं तो सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।

Must Read- Karwa Chauth 2021: करवा चौथ इस बार क्यों है बेहद खास?

navratra hawan

हवन में नौ पवित्र वस्तुओं को आवश्यक माना गया है, ऐसे में इनका उपयोग करने से मां प्रसन्नता के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करती हैं।

Must Read- शारदीय नवरात्रि 2021 : घर में सप्तमी,अष्टमी व नवमी हवन की सरल विधि

1. काली मिर्च: रोगाणुओं को मारने के साथ ही साधक की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह एंटीबैक्टीरियल होता है।
2. शहद: जीवन में मिठास लाने के साथ ही शहद सबसे शुद्ध तत्वों में से एक माना जाता है।
3. सरसों: हवन में सरसों का उपयोग शत्रु नाश के लिए होता है। साथ ही माना जाता है कि यह बुरी नजर वालों से भी रक्षा करती है।
4. पालक: हरियाली का प्रतीक पालक से हवन करने पर माना जाता है कि इससे घर में हरियाली यानि सुख-समृद्धि आती है।
5. खीर: खीर देवी मां को अत्यंत पसंद है। हवन में खीर अर्पित करने के संबंध में मान्यता है कि ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होकर धन-धान्य (अन्न) का आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
6. नींबू : हवन में नींबू के संबंध में माना जाता है कि इसके प्रयोग से आधि-व्याधि का नाश होता है।
7. हलवा: मां कालरात्रि को हलवा अत्यंत पसंद है। ऐसे में माना जाता है कि इससे हवन करने वाले के जीवन में देवी मां की कृपा से सदैव मुस्कराहट बनी रहती है।
8. कमल गट्टा: इसके संबंध में मान्यता है कि इसके उपयोग से वंश और गोत्र की वृद्धि होती है। साथ ही पैदा होने वाली संतान धार्मिक और दानी भी होती है।
9. अनार: मान्यता के अनुसार हवन में अनार की आहुति देने से जो धुआं उत्पन्न होता है वह रक्तशोधित करता है। वहीं इससे रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा भी बढ़ती है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो