7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

इन नदियों में क्यों नहीं किया जाता स्नान, वजह कर देगी हैरान

इनमें गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, सरस्वती, नर्मदा, सतलुज जैसी नदियां हमारे जेहन में हमेशा रहती हैं। इनके नाम याद करने की जरूरत नहीं पड़ती। कहते हैं कि इन नदियों में स्नान करने भर से ही व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। पर क्या आपने कभी सुना है कि इन नदियों में कभी भी धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते...

2 min read
Google source verification

image

Sanjana Kumar

Dec 28, 2022

indian_rivers.jpg

भोपाल। भारत में नदियों का न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व भी रहा है। प्राचीन काल से ही हम देखते-सुनते आए हैं कि नदियां मां की तरह हमारा पालन-पोषण करती रही हैं। नदियों के कारण ही सभ्यताएं पनपी और गांव बसते गए। इतिहास गवाह है कि सबसे ज्यादा शहर और गांव नदियों के किनारे ही बसे। हमारे देश में छोटी-बड़ी 200 से ज्यादा नदियां बहती हैं। इनमें गंगा, यमुना, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, सरस्वती, नर्मदा, सतलुज जैसी नदियां हमारे जेहन में हमेशा रहती हैं। इनके नाम याद करने की जरूरत नहीं पड़ती। कहते हैं कि इन नदियों में स्नान करने भर से ही व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। पर क्या आपने कभी सुना है कि इन नदियों में कभी भी धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते। अगर नहीं तो आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं उन नदियों के बारे में जिनके बारे में अब धारणा बनने लगी है कि ये नदियां जीवन का उद्धार नहीं बल्कि जीवन को बर्बाद करती हैं।

कर्मनाशा नदी
बिहार और उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में से एक है कर्मनाशा नदी। इन दोनों राज्यों के लोगों का मानना है कि जो इस नदी के पानी को छूता है, उसके बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि इस नदी का पानी ही शापित है, इसलिए लोग इसके पानी में नहाना तो दूर, इसे छूने से भी बचते हैं।

ये भी पढ़ें:नए साल 2023 में स्टूडेंट्स, बिजनेसमेन और किसानों की समृद्धि के योग, यहां जानें आपको क्या मिलेगा

ये भी पढ़ें: क्या आप जानते हैं वास्तव में क्या होता है तीर्थ स्थल, जानें इनका महत्व, हिंदू धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल

फल्गु नदी
बिहार के गया जिले में बहने वाली फल्गु नदी के बारे में कहा जाता है। गया में हर साल लाखों लोग पिंडदान और श्राद्ध करने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन इस नदी के पास कोई नहीं आता। यहां के लोग इस नदी को देवी नहीं, मानते हैं। लोगों के बीच धरणा है कि इस नदी को माता सीता ने शाप दिया था, तब से लोग इस नदी पर जाने से बचते हैं ।

ये भी पढ़ें:नए साल में इन राशियों की खुल जाएगी किस्मत, मिलेगा गजलक्ष्मी योग का लाभ

ये भी पढ़ें: नए साल में राशि के हिसाब से दें गिफ्ट, आपके साथ ही उपहार लेने वाले को भी मिलेगा सौभाग्य

कोसी नदी
कोसी को बिहार का शोक तक कहा जाता है। नेपाल से हिमालय में निकलने वाली यह नदी बिहार के सुपौल, पूर्णिया, कटिहार से बहती हुई राजमहल के पास गंगा में मिल जाती है। कहते हैं जब भी इस नदी में बाढ़ आती है, कई लोगों की जान ले जाती है। इस नदी में भी धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते।

ये भी पढ़ें:नए साल 2023 में ऐसे करें सूर्य की उपासना, मिलेंगी मनचाही खुशियां, खुल जाएंगे उन्नति के रास्ते

ये भी पढ़ें:हाथों की ये लकीरें बताती हैं कितने सौभाग्यशाली हैं आप

चंबल नदी
चंबल मध्यप्रदेश की प्रमुख नदी है। इस नदी में धार्मिक महत्व के स्नान नहीं किए जाते। एक कहानी के मुताबिक, राजा रतिदेव ने हजारों जानवरों को मार डाला था और खून को इस नदी में बहने दिया था। इस घटना के बाद से इस नदी को अपवित्र नदी मान लिया गया।

ये भी पढ़ें: नए साल में इस रंग से करें अपने दिन की शुरुआत, हर दिन मिलेगी खुशखबरी

ये भी पढ़ें: 2 जनवरी का बनने जा रहा है यह शुभ योग, संतान प्राप्ति के लिए जरूर कर लें ये काम