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Non Vegetarian Prasad : भारत के इन मंदिरों में मिलता है मांस-मछली वाला प्रसाद

Non Vegetarian Prasad : क्या आप जानते हैं भारत में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां प्रसाद के रूप में मिठाई या फल नहीं, बल्कि मांस, मछली और शराब चढ़ाई जाती है? पढ़ें इन अनोखे मंदिरों की दिलचस्प मान्यताएं।

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भारत

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Dimple Yadav

Sep 24, 2025

Non Vegetarian Prasad

Non Vegetarian Prasad (photo- gemini ai)

Non Vegetarian Prasad : भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं, अलग तरह का भोजन मिलता है, भिन्न-भिन्न त्योहार मनाए जाते हैं और हर जगह की अपनी मान्यताएं देखने को मिलती हैं। धार्मिक आस्था और पूजा-पद्धति में भी यहां काफी भिन्नता पाई जाती है। जहां एक ओर कई मंदिरों में प्रसाद के रूप में मिठाई या फल चढ़ाए जाते हैं, वहीं कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां प्रसाद में मांस, मछली अर्पित की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में।

मुनियंडी स्वामी मंदिर, तमिलनाडु

मदुरै के वडक्कमपट्टी गांव में स्थित इस मंदिर में हर साल 3 दिन का विशेष उत्सव होता है। यहां भगवान मुनियंडी (शिव का अवतार माने जाते हैं) को प्रसाद के रूप में चिकन और मटन बिरयानी चढ़ाई जाती है। खास बात यह है कि यही बिरयानी बाद में भक्तों को प्रसाद के रूप में दी जाती है।

विमला मंदिर, पुरी (ओडिशा)

जगन्नाथ मंदिर परिसर में स्थित देवी विमला का यह मंदिर शक्तिपीठों में गिना जाता है। दुर्गा पूजा के समय यहां देवी को मछली और बकरे का मांस अर्पित किया जाता है। खास बात यह है कि यह सब भगवान जगन्नाथ के द्वार खुलने से पहले होता है।

तर्कुलहा देवी मंदिर, गोरखपुर

उत्तर प्रदेश का यह मंदिर अपनी आस्था और खिचड़ी मेले के लिए प्रसिद्ध है। चैत्र नवरात्रि में यहां भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। लोग मनोकामना पूरी होने पर बकरा चढ़ाते हैं, जिसे पकाकर बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

कामाख्या मंदिर, असम

नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। तंत्र साधना का केंद्र माने जाने वाले इस मंदिर में भक्त देवी को मांस और मछली का प्रसाद चढ़ाते हैं।

तारापीठ, पश्चिम बंगाल

बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर में दुर्गा भक्त देवी को मांस और शराब का प्रसाद अर्पित करते हैं। बाद में यह प्रसाद भक्तों के बीच वितरित किया जाता है।

कालीघाट मंदिर, कोलकाता

देश के प्रमुख शक्तिपीठों में शामिल यह मंदिर लगभग 200 साल पुराना है। यहां भक्त देवी काली को बकरे की बलि अर्पित करते हैं और मांस को बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।

परस्सिनिक कदवु मंदिर, केरल

भगवान मुथप्पन को समर्पित इस मंदिर में मछली और ताड़ी प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है। मान्यता है कि इससे भक्तों की इच्छाएं पूरी होती हैं।