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इसके बिना अधूरी ही रहती है दैनिक पूजा-पाठ, कथा या त्यौहारों की पूजा

locationभोपालPublished: Nov 16, 2019 12:34:40 pm

Submitted by:

Shyam

Puja Paath : Karpur Gauram Karunavtaram Stuti Mantra. इसके बिना अधूरी ही रहती है दैनिक पूजा-पाठ, कथा या त्यौहारों की पूजा

इसके बिना अधुरी ही रहती है, दैनिक पूजा-पाठ, कथा या त्यौहारों की पूजा

इसके बिना अधुरी ही रहती है, दैनिक पूजा-पाठ, कथा या त्यौहारों की पूजा

किसी भी धार्मिक पूजा पाठ, कथा या अन्य संस्कार पूजा विधान में आरती के बाद इस स्तुति का पाठ करना अनिवार्य माना जाता है। देवि देवताओं की दैनिक या अन्य पर्व त्यौहारों में होने वाली पूजा में श्रद्धालु भक्त एवं पुजारी, पंडितजी कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण अनिवार्य रूप से करते ही है। लेकिन कहा जाता है कि पूजा पाठ, यज्ञ या विशेष आरती समाप्त होने के बाद अगर इस अलौकिक मंत्र का उच्चारण नहीं किया जाए तो उक्त पूजा पाठ अधूरी ही मानी जाती है। जानें पूजा आरती समाप्ति के बाद कौनसी स्तुति का पाठ करना ही चाहिए।

इसके बिना अधूरी ही रहती है दैनिक पूजा-पाठ, कथा या त्यौहारों की पूजा

शास्त्रोंक्त ऐसी मान्यता भी है की इस मंत्र के उच्चारण के बिना पूजा पाठ के आयोजन अधुरे ही माने जाते हैं। इसलिए पूजा के बाद होने वाली आरती के समपन्न होते ही इस मंत्र का उच्चारण किया ही जाता है। शास्त्रों में इस मंत्र को भगवान शिव जी का अति प्रिय मंत्र बताया गया है- जो इस प्रकार है-

स्तुति मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

 

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इस अलौकिक मंत्र के प्रत्येक शब्द में भगवान शिवजी की स्तुति की गई है। इसका अर्थ इस प्रकार है-

– कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।

– करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार है।

– संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार है।

– भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।

– सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।

अर्थात- जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार है, संसार के सार है और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।

इसके बिना अधूरी ही रहती है दैनिक पूजा-पाठ, कथा या त्यौहारों की पूजा

इसलिए आवश्यक है यह मंत्र स्तुति

देवी-देवता की आरती के बाद कर्पूरगौरम् करुणावतारं मंत्र ही क्यों बोला जाता है, इसके पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए है। भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा की गई थी। ये स्तुति इसलिए गाई जाती है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में वास करे, शिव श्मशान वासी है, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं। ऐसे शिवजी हमारे मन में शिव वास कर, मृत्यु का भय दूर करें और हमारी सभी मनोकामनाओं को पूरा करें।

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