
aaj ki kundli
चतुर्दशी रिक्ता संज्ञक तिथि अपराह्न ३.३० तक, इसके बाद अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। वैसे कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी व अमावस्या दोनों तिथियां शुभ व मांगलिक कार्यों में वर्जित हैं। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी में शस्त्रादि दूषित कार्य प्रशस्त हैं। यात्रादि वर्जित है।
नक्षत्र: स्वाति ‘चर व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र सायं ५.११ तक, इसके बाद विशाखा ‘मिश्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। स्वाति नक्षत्र में यदि तिथ्यादि शुभ हो तो देवालय, वस्त्रालंकार, विवाहादि मांगलिक कार्य और वास्तु सम्बंधी कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। विशाखा नक्षत्र में पदार्थ संग्रह, अलंकारादिक कार्य और चित्रकारी व प्रहार आदि कार्य करने योग्य हैं।
योग: सौभाग्य नामक योग रात्रि ९.०१ तक, इसके बाद शोभन नामक योग रहेगा। दोनों ही नैसर्गिक शुभ योग है। करण: शकुनि नामक स्थिर संज्ञक करण अपराह्न ३.३० तक, तदन्तर चतुष्पद नामक करण रहेगा। स्थिर संज्ञक करणों में पितृकार्यादि करने के ऋषयादेश हैं।
शुभ विक्रम संवत् : 2074
संवत्सर का नाम : साधारण
शाके संवत् : 193९
हिजरी संवत् : 143९, मु.मास: सफर-२७
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : हेमन्त
मास : मार्गशीर्ष।
पक्ष : कृष्ण।
शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से पूर्वाह्न १०.५२ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत, दोपहर १२.१२ से दोपहर बाद १.३२ तक शुभ तथा सायं ४.१२ से सूर्यास्त तक चर के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर ११.५० से दोपहर १२.३३ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारंभ के लिए अत्युत्तम हैं।
व्रतोत्सव: आज बाला जयंती, लालालाजपत राय पुण्य दिवस तथा मेला पुरमण्डल देविका स्नान (कश्मीर में) है। चन्द्रमा: चन्द्रमा संपूर्ण दिवारात्रि तुला राशि में है।
दिशाशूल: शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर आज तुला राशि के चन्द्रमा का वास पश्चिम दिशा की यात्रा में सम्मुख होगा। यात्रा में सम्मुख चन्द्रमा धनलाभ कराने वाला व शुभप्रद माना गया है।
राहुकाल: प्रात: १०.३० से दोपहर १२.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
आज जन्म लेने वाले बच्चे
आज जन्म लेने वाले बच्चों के नाम (ता, ति, तू, ते, तो) आदि अक्षरों पर रखे जा सकते हैं। इनकी जन्म राशि तुला है तथा सायं ५.११ तक जन्मे जातकों का जन्म रजत पाद से व इसके बाद जन्मे जातकों का ताम्रपाद से है। रजत पाद व ताम्रपाद से जन्मे जातकों का स्वास्थ्य प्राय: उत्तम रहता है। सभी भौतिक सुख-सुविधाओं के भोगने वाले होते हैं। सामान्यत: ये जातक धर्मपरायण-दान-पुण्य करने वाले, व्यापारादि में निपुण, आर्थिक दृष्टि से संपन्न, ऐश्वर्ययुक्त जीवन जीने वाले तथा माननीय होते हैं। इनका भाग्योदय ३० से ३६ वर्ष की आयु के मध्य होता है। तुला राशि वाले जातकों को आज सभी भौतिक सुविधाएं प्राप्त होंगी। परिवार में शुभ व मांगलिक कार्यों का आयोजन होगा।
Published on:
17 Nov 2017 09:33 am
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