बागी, बीहड़, बंदूक के बाद धौलपुर अब इस वजह से हो रहा बदनाम
धौलपुरPublished: May 21, 2019 12:14:17 pm
उच्चतम न्यायालय की ओर से चंबल घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र के धौलपुर जिले में बजरी खनन पर निगरानी और रोकथाम को निर्देश दिए गए है, लेकिन इन निर्देशों की पालना कराने में धौलपुर प्रशासन विफल साबित होता नजर आ रहा है। जहां एक ओर धौलपुर प्रशासन बजरी परिवहन के रोकने का दावे कर रही है, तो वहीें दूसरी ओर से राजाखेड़ा के कछियारा क्षेत्र शंकरपुरा व भूड़ा घाट पर चंबल बजरी का अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है।
बागी, बीहड़, बंदूक के बाद धौलपुर अब इस वजह से हो रहा बदनाम
बागी, बीहड़, बंदूक के बाद धौलपुर अब इस वजह से हो रहा बदनाम
शंकरपुरा, भूड़ा घाट पर धड़ल्ले से बजरी खनन
प्रशासन का नजर अंदाज रवैये पर खड़े हो रहे सवाल
धौलपुर. उच्चतम न्यायालय की ओर से चंबल घडिय़ाल अभयारण्य क्षेत्र के धौलपुर जिले में बजरी खनन पर निगरानी और रोकथाम को निर्देश दिए गए है, लेकिन इन निर्देशों की पालना कराने में धौलपुर प्रशासन विफल साबित होता नजर आ रहा है। जहां एक ओर धौलपुर प्रशासन बजरी परिवहन के रोकने का दावे कर रही है, तो वहीें दूसरी ओर से राजाखेड़ा के कछियारा क्षेत्र शंकरपुरा व भूड़ा घाट पर चंबल बजरी का अवैध खनन धड़ल्ले से हो रहा है।
मामले में गंभीर बात यह है चंबल से बजरी का खनन में आधुनिक मशीनरी का प्रयोग भी किया जा रहा है। स्थानीय लोगों की माने तो करीब प्रतिदिन करीब 300 से 400 ट्रॉलियां बजरी की चंबल से निकाली जा रही है और इनका स्टॉक समीपवर्ती गांवों में किया जा रहा है। यहां से रात को इस स्ट्रॉक को ट्रकों के जरिए अन्य स्थानों के भेजा रहा है।
उल्लेखनीय है कि राजाखेड़ा के चंबल के घाट शंकरपुरा व भूड़ा-कछियारा पर जेसीबी मशीनों के जरिए ट्रेक्टर-ट्रॉलियों में बजरी निकालने का कार्य 24 घंटे जारी है। यहां से ट्रेक्टर -ट्रॉलियों के जरिए बजरी को गांव कठूमरा व मैहदपुरा तिराहे पर भण्डारण किया जाता है। यहां एकत्र चंबल बजरी को ट्रक-ट्रोलों लें लोड करके समीपवर्ती उत्तर प्रदेश आगरा जिले के रास्ते अन्य स्थानों पर भेजा जाता है। चंबल से बजरी निकालने के लिए कई जेसीबी मशीनें लगी हुई है, जो कि एक ट्रेक्टर-ट्रॉली को भरने में करीब 8 से 10 मिनट का समय लेती है।
केवल ट्रैक्टर-ट्रॉलियां की आ-जा सकती है
जिस चंबल क्षेत्र के घाट शंकरपुरा व भूड़ा घाट में जिस स्थान से बजरी का खनन हो रहा है, उन रास्तों पर केवल ट्रेक्टर-ट्रॉलियां ही चल सकती है, क्योंकि यहां आसपास रेतीला और उबड़ खाबड़ रास्ता है, जिस पर अन्य किसी भी वाहन को चलने में परेशानी आती है।
सवाल के घेरे में पुलिस
गांव कठूमरा व मैहदपुरा पर हो रहे बजरी के स्टॉक और यहां से ट्रकों के जरिए हो रहे परिवहन ने पुलिस की कार्य शैली पर सवाल खड़े कर दिए है। खुलेआम चंबल से हो रहे परिवहन को लेकर पुलिस की चुप्पी अभी कई सवाल खड़े रही है। क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहे बजरी के परिवहन और इस ओर पुलिस का नजर अंदाज रवैया पुलिस की मिलीभगत की ओर भी इशारा कर रहा है। गत दिनों पूर्व पुलिस की ओर से शहर के समीपवर्ती गांव मोरोली पर पुलिस चौकी स्थापित कर बजरी के परिवहन पर पूर्णतया पाबंदी का दावा किया, लेकिन कुछ दिनों बाद बजरी माफियाओं ने मौरोली से परिवहन के नए रास्तें निकाल
लिए। इस दौरान पुलिस ने रणनीतियों बनाकर कार्रवाईयों भी की, लेकिन बजरी का परिवहन नहीं रूका। शहरी क्षेत्र के अलावा डांग क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बजरी का स्टॉक कर लिया। इस दौरान राजाखेड़ा क्षेत्र के शंकरपुरा व भूडा-कछियारा घाट से बजरी का बड़े पैमाने पर परिवहन ने प्रशासन के तमाम प्रयासों पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।