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धूमिल होती विरासत

locationधौलपुरPublished: May 19, 2019 11:43:02 am

Submitted by:

Naresh

धौलपुर ऐतिहासिक शेरग? किला शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर चम्बल नदी के किनारे बीह?ों के बीच स्थित है। इस किले का निर्माण धौलपुर नरेश मालदेव ने 1532 ई. के करीब कराया था। इसके बाद इस किले को शेरशाह सूरी के आक्रमण का सामना करना पड़ा और इस किले का नाम शेरगढ़ किला प?ा पर आज यह विरासत अनदेखी के चलते धरासाई होने के कगार पर है

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धूमिल होती विरासत

धूमिल होती विरासत….
धौलपुर ऐतिहासिक शेरग? किला शहर से पांच किलोमीटर की दूरी पर चम्बल नदी के किनारे बीह?ों के बीच स्थित है। इस किले का निर्माण धौलपुर नरेश मालदेव ने 1532 ई. के करीब कराया था। इसके बाद इस किले को शेरशाह सूरी के आक्रमण का सामना करना पड़ा और इस किले का नाम शेरगढ़ किला प?ा पर आज यह विरासत अनदेखी के चलते धरासाई होने के कगार पर है शेरग? किला हाइवे से देखो तो सहज ही हर राहगीर को दूर से अपनी ओर आकर्षित करता है। वर्षा काल में तो इस किले की सुंदरता चारों ओर हरियाली से ढके बीह? और ऊंचे नीचे खादरों के बीच ऐतिहासिक राजा महाराजाओं के समय की बनी डिजाइनदार चारदीवारी हर आम खास को मोहित करती है। लेकिन जिम्मेदार विभाग की अनदेखी के चलते धौलपुर की रियासत का ये मुख?ा अपने मूल रूप को खोता जा रहा है। इसके साथ ही यहां बनी ऐतिहासिक इमारतें भी जीर्ण-शीर्ण होती जा रही हैं। वैसे तो इस किले पर चार विभाग अपना मालिकाना हक जताते हैं, जिसे लेकर सबने अपने-अपने बोर्ड भी लगा रखें हैं। लेकिन इसका विकास कराने की इच्छा शक्ति एक भी विभाग में नजर नहीं आती है। यहां पुरातत्व, पर्यटन, देवस्थान वन विभाग ने अपने बोर्ड लगाकर अपनी संपत्ति होने का प्रमाण लगा रखे है। लेकिन इसकी सुध लेने की फुरसत शायद किसी भी बिभाग को नहीं है चंबल के बीहड़ों को पर्यटन के रूप में विकसित करने का दावा करने वाला जिला प्रशासन इस विरासत की ओर ध्यान नहीं दे रहा किले पर आने वाले लोग यहां के वातावरण ओर प्राकृतिक खूबसूरती का कायल हो जातें है। इसलिए जिम्मेदार विभागों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। जिससे कि धौलपुर में पर्यटन की संभावनाएं विकसित हो सके फोटो स्टोरी नरेश लवानियां
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