
जच्चा बच्चा के साथ सीएचसी का स्टाफ। फोटो- पत्रिका
जहां चाह वहां राह…यह चार शब्द जहां कामयाबी की इबारत लिखने को प्रेरित करते हैं तो स्वर्णिम कल का आधार भी बनते हैं। इन्हीं चार शब्दों की बानगी राजस्थान के धौलपुर के नादनपुर सीएचसी सेंटर में देखने को मिली। जहां अथक प्रयासों के बाद चिकित्सा केन्द्र में 'आशा' की किलकारी गूंजी। इन किलकारियों ने जहां ग्रामीणों को खुशियों की सौगात दी तो स्वास्थ्यकर्मियों को संबल मिला।
मामला धौलपुर जिले के बसेड़ी ब्लॉक स्थित नादनपुर सीएचसी सेंटर का है। जहां अस्पताल स्थापना के 9 साल बाद यानी पहली बार बच्चे की किलकारियां गूंजी। दरअसल नादनपुर में पीएससी सेंटर का शुभारंभ स्वास्थ्य विभाग ने 2016 में किया था।
उस दौरान विभाग को बड़ी उम्मीदें थी कि इससे नादनपुर सहित आसपास के लगभग 30 हजार लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के साथ प्रसूताओं को डिलीवरी के लिए बसेड़ी या धौलपुर नहीं जाना होगा, लेकिन विभाग की इस सोच पर ग्रामीणों ने विश्वास नहीं जताया। ऐसे में जब प्रसूताओं की डिलीवरी होनी थी तो वह 27 से 35 किलोमीटर दूर जाकर डिलीवरी कराते थे, जिससे ग्रामीणों का जहां समय नष्ट होता था तो वहीं धन भी अधिक व्यय जाता था।
सीधा कहें तो ग्रामीणों को नादनपुर पीएचसी सेंटर में प्रसूताओं की डिलीवरी कराने में भय व्याप्त रहता था, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने 2021 में पीएचसी का दायरा बढ़ाते हुए केन्द्र को नवीन भवन के साथ सीएचसी में तब्दील कर दिया और केन्द्र में संसाधनों की बढ़ोत्तरी के साथ नर्सिंग स्टॉफ की भी भर्तियां की गईं, लेकिन उसके बाद भी नादनपुर सहित आसपास के ग्रामीणों ने पीएचसी केन्द्र पर भी भरोसा नहीं जताया।
नादनपुर अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ. संदीप मीणा ने बताया कि कुछ दिन पहले ही डिलीवरी के लिए नादनपुर निवासी प्रसूता विमलेश पत्नी लक्ष्मण कुशवाह को भर्ती कराया गया। जिसकी चिकित्सीय टीम ने अच्छी तरह से जांच की और प्रसूता के परिजनों से उसी अस्पताल में डिलीवरी कराने की बात कही।
एक बार तो प्रसूता के परिजन सहम गए और डर भी गए, लेकिन समझाइश करने के बाद डिलीवरी के लिए मान गए। इसके बाद चिकित्सीय टीम ने सही तरीके से डिलीवरी की और एक नवजात बालक के जन्म के साथ क्षेत्र के 30 हजार लोगों की आशाओं का भी जन्म हुआ।
क्षेत्र में पहली बार किसी प्रसूता की डिलीवरी से ग्रामीणों सहित परिजनों में खुशी का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अब उन्हें प्रसूताओं की डिलीवरी के लिए कई किलोमीटर दूर नहीं जाना पड़ा। उन्हें न तो कोई असुविधा हुई और न को परेशानी हुई, वहीं पैसे भी खर्च नहीं हुए, जबकि कई किलोमीटर दूर बाड़ी, बसेड़ी या फिर धौलपुर तक आने जाने में किराए भाड़े से लेकर हजारों रुपए खर्च होते हैं। अब वे अपने क्षेत्र के अन्य लोगों को भी इसी अस्पताल में प्रसूता महिला की डिलीवरी के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
स्वास्थ्य केन्द्र स्थापना के 9 साल तक यहां प्रसूताएं डिलीवरी से कतराती रहीं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसके बाद भी हार नहीं मानी। विभाग ने अपने स्तर से भरकस प्रयास किया ग्रामीणों को समझाइश देते तरह-तरह से जागरूक करने की कोशिश कीं। इसमें आशा सहयोगिनियों का भी बड़ा योगदान रहा। जिन्होंने घर-घर जाकर महिलाओं सहित ग्रामीणों को सीचएसी केन्द्र की सेवाओं से अवगत कराया।
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अस्पताल में आधुनिक डिलीवरी रूम तैयार कराया गया है, जिसमें अब प्रसूता महिलाओं की अच्छी तरह से डिलीवरी कराई जाया करेगी। मैं खुश हूं कि यह कामयाबी मेरे कार्यकाल के दौरान हम सबको मिली। हम ग्रामीणों को भरोसा दिलाते हैं कि यहां प्रसूताओं को हर मेडिकल सुविधा मिलेंगी।
डॉ. संदीप मीणा, चकित्सा प्रभारी नादनपुर
नादनपुर सीएचसी केन्द्र पर लंबे इंतजार के बाद प्रसूता की डिलीवरी हुई है। ग्रामीणों के सीएचसी केन्द्र पर भरोसा जताना अच्छी बात है, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग भरकस प्रयासों के साथ ग्रामीणों की सेवा के लिए ही प्रयासरत है। अब ग्रामीणों को डिलीवरी के लिए लंबी कई किमी दूर नहीं जाना पड़ेगा।
धर्म सिंह मीणा, सीएमएचओ, धौलपुर
Published on:
04 Sept 2025 05:05 pm
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