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Rajasthan Election: तीन राज्यों के बीच कटती जिंदगी…गले लगाएं तो बीहड़ और डांग से आगे बढ़े सोच

Rajasthan Assembly Election 2023: छेनी-हथौड़ी की टक-टक और गर्राते गैंगसा। तैयार हो रहा ‘रेड डायमंड’। आज का सफर यहीं से शुरू हुआ। मैं आ पहुंचा सरमथुरा के करीब। यहीं से जानेंगे बाड़ी और बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र की जमीनी हकीकत। ‘

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नागेश शर्मा/धौलपुर. Rajasthan Assembly Election 2023: छेनी-हथौड़ी की टक-टक और गर्राते गैंगसा। तैयार हो रहा ‘रेड डायमंड’। आज का सफर यहीं से शुरू हुआ। मैं आ पहुंचा सरमथुरा के करीब। यहीं से जानेंगे बाड़ी और बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र की जमीनी हकीकत। ‘रेड डायमंड’ ने इस इलाके को विश्वस्तरीय पहचान तो दिलाई, लेकिन विकास का पहिया गति नहीं पकड़ पाया। हालांकि रेड स्टोन जिले की लाइफलाइन माना जाता है, लेकिन मजदूरों और कारोबारियों के उत्थान में प्रदेश की सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इसकी टीस यहां लोगों में साफ दिखाई पड़ती है। आगे बढ़े तो यहां कारोबारी मोहन प्रसाद मिले। वे बोले, मजदूर आज भी मजबूर है। पत्थरों के खरीदार आ रहे हैं।

इससे केंद्र और प्रदेश की सरकार को राजस्व भी खूब मिल रहा, लेकिन इसमें से कुछ हिस्सा इस क्षेत्र की जनता के जीवन उत्थान पर भी खर्च किया जाना चाहिए। जबकि 400 हेक्टेयर में फैले इस कारोबार से 20 हजार से अधिक परिवार पेट पाल रहे हैं। 200 से अधिक गैंगसा चल रहे हैं। मजदूर रामप्रसाद का कहना था कि कारोनाकाल के हाल किसी से छिपे नहीं रहे। यहां का ‘रेड डायमंड’ तो देश-विदेश में खूब चमक रहा, लेकिन इसे चमकाने वाला मजदूर आज भी हालात के आगे मजबूर है। क्षेत्र में चिकित्सा सुविधा तक ठीक से नहीं मिल पा रही है। जबकि धौलपुर के लाल पत्थर की दुबई और यूरोप में सबसे अधिक डिमांड है। दिल्ली का लाल किला, संसद भवन, कुतुब मीनार, आगरा का लाल किला और नई संसद इसी पत्थर से बनी है। इसकी सुंदरता के चलते अब अयोध्या में राममंदिर निर्माण में भी इस पत्थर का उपयोग किया जा रहा है।
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पत्थर मंडी विकसित करे सरकार
बसेडी में कारीगर रामखिलाड़ी बोले, कस्बे में पार्क बनना था, लेकिन बना नहीं। पानी के भराव की समस्या दूर नहीं हुई। बस स्टैंड की सुविधा भी यहां लोगों को नहीं मिल रही। सरकार को चाहिए कि वह पत्थर मंडी विकसित करे, ताकि देश-विदेश से आने वाले खरीदारों को सही दाम पर पत्थर मिल सके। सरकार टैक्स में छूट दे, ताकि लोगों को अधिक मुनाफा मिले। इसकी कई बार मांग उठाई, लेकिन हर बार दबकर रह गई। पास ही चाय की थड़ी पर बतियाते विक्रम सिंह बोले, काली तीर्थ जल योजना से पानी मिलेगा। चम्बल को इससे जोडऩे की चर्चा भी थी। यह आस कब पूरी होगी पता नहीं। सरकार बजरी के अवैध कारोबार को भी रोके। या फिर लीज आवंटित करें, ताकि लोगों को रोजगार भी मिले।
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नाम का चिकित्सालय... हाल रेफरल से, कॉलेज भी खाली
दोपहर के दो बज चुके। मैं आ पहुंचा बाड़ी। यहां बस स्टैंड परिसर में ही सरकार का महंगाई राहत कैंप लग रहा है, लेकिन कर्मचारियों के अलावा कोई नहीं। कचौड़ी की दुकान पर युवक रवि बोले, चिकित्सालय को जिला चिकित्सालय का दर्जा दे दिया, लेकिन हालात आज भी रेफरल चिकित्सालय से हैं। राजकीय कॉलेज खोल दिया, लेकिन कॉलेज में पढ़ाने के लिए व्याख्याता नहीं हैं। हां, आवागमन के लिए बसों की व्यवस्था ठीक है।

आगे बढ़ा तो कुमारपाल मिले। वे बोले, क्या-क्या परेशानियां बताएं, सरकारी दफ्तारों के पद तक तो सरकार भर नहीं रही। एक ही एईएन चार-पांच विभागों का काम संभाल रहा है। अनियमितताओं की कहानी किसी से छिपी नहीं है। बाड़ी में घर-घर पानी पहुंचाने का वादा था, लेकिन 25 फीसदी काम करने के बाद ठेकेदार बीच में छोड़ गया। सरकार योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए पंजीयन कर रही है, कितना लाभ मिलेगा यह समय बताएगा। हालांकि इससे लोगों में जागरूकता आ रही है।

दर्द यही, तीन राज्य... सुविधाओं के लिए किधर झांकें
पंडित शिवप्रसाद बोले, धौलपुर उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच राजस्थान का हिस्सा है। बोली, संस्कृति और खान-पान बृज का है। तीन-तीन राज्यों के करीब होने के बाद भी विकास का खाका ठीक से नहीं बन पा रहा है। राज्य सरकार को यहां के लोगों को गले लगाना चाहिए। ताकि लोगों की सोच बीहड़ और डांग से आगे बढ़े।

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