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सरमथुरा में शासन का खौफ पत्थर उद्योगों पर फैला सन्नाटा

जिले में पत्थर उद्योग पर शासन का शिंकजा पूरी तरह कस चुका है। शासन के खौफ से खदानों में वीरानी छा गई है। उद्योगों पर सन्नाटा पासरा हुआ है। आलम यह है कि 15 दिन से उद्योगों पर पत्थर ब्लॉक की एक भी टुकड़ी नहीं पहुंची है। उद्योगों पर ताले लटकने की नौबत आ गई है।

सरमथुरा में शासन का खौफ पत्थर उद्योगों पर फैला सन्नाटा Silence spreads over stone industries in Saramathura due to fear of government
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खदानों में छाई वीरानी, उद्योगों से श्रमिकों की छंटनी हुई शुरू

15 दिन से पत्थर ब्लॉक की आमदनी बंद, उद्योगों पर ताले लटकने की नौबत

dholpur, सरमथुरा. जिले में पत्थर उद्योग पर शासन का शिंकजा पूरी तरह कस चुका है। शासन के खौफ से खदानों में वीरानी छा गई है। उद्योगों पर सन्नाटा पासरा हुआ है। आलम यह है कि 15 दिन से उद्योगों पर पत्थर ब्लॉक की एक भी टुकड़ी नहीं पहुंची है। उद्योगों पर ताले लटकने की नौबत आ गई है।

शासन की सख्ती को देखते हुए उद्यमियों ने भी कामगार मजदूरों की छंटनी करना शुरू कर दिया है। सख्ती का असर सिर्फ सरमथुरा तक सीमित नही हैं, जिले के बसड़ी व बाड़ी के उद्यमी भी प्रभावित हो रहे हैं। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि धौलपुर के पत्थर उद्योगों को बचाने की नीयत से शासन में पैरवी करने के लिए कोई भी प्रतिनिधि नहीं है। अगर देखा जाए तो शासन को धौलपुर के पत्थर उद्योगों से प्रतिमाह करोड़ों का राजस्व मिलता है। इसके बावजूद भी शासन पत्थर उद्योग पर ही शिकंजा कसा जा रहा है। हालांकि शासन ने अवैध खनन की आड़ लेकर कार्रवाई करने का हवाला दिया जाता है। परन्तु खनन श्रमिकों में खौफ के कारण वैध खनन भी बंद पड़ा है। जिले में पत्थर उद्योगों से प्रत्यक्ष रूप से 25 हजार लोगों को रोजगार एवं अप्रत्यक्ष रूप से इतने ही लोगों की आजीविका चलती हैं। पत्थर उद्योग के बंद होने का असर कामगार मजदूरों सहित उद्यमियों पर भी पड़ रहा है। बसेड़ी, बाडी व सरमथुरा में उद्यमियों की तकलीफ यह है कि बैंकों से करोड़ों रुपए कर्जा लेकर इन्डस्ट्रीज में इन्वेस्ट किया हुआ है। पत्थर उद्योग की ऐसी ही स्थिति रही तो बैंकों का कर्जा चुकाना मुश्किल हो जाएगा। हालांकि उद्यमियों ने पहले श्रमिकों की छंटनी कर खर्चा कम करने का निर्णय किया है। अगर पत्थर उद्योग से शासन की पकड़ ऐसी बनी रही तो कामगार श्रमिकों के साथ उद्यमियों को भी पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

वैध खदानों में भी खनन करने तैयार नहीं श्रमिक

जिले में खान एवं भू विज्ञान विभाग ने पत्थर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बसेड़ी, बाड़ी, सरमथुरा इलाके में नादनपुर, तिलऊआ, नकसोंदा, कछपुरा, चिलाचौंद, ददरौनी, भिरामद, मड़ासिल, बड़ागांव, तेजापुरा सहित कई क्षेत्रों में खनन पट्टे स्वीकृत किए हुए हैं। विडंबना यह है कि शासन के भय के कारण खनन श्रमिक वैध खदानों में भी काम करने से कन्नी काट रहे हैं। श्रमिक इस बात से भयभीत है कि अगर पकड़े गए तो कहीं जेल भी जाना पड़ सकता है।

सडक़ों पर वाहनों के पहिया थमे

मशीनरी भूमिगतशासन की सख्ती के कारण 15 दिन में पत्थर उद्योग पर असर दिखाई देने लगा है। पत्थर व्यवसाय से जुड़े लोगों ने वाहनों व मशीनरी को भूमिगत कर दिया है। जिसके कारण सडक़ों पर वाहनों के पहियों की रफ्तार थम गई है।