
How much protein is too much
How much protein is too much : प्रोटीन को जीवन का आधार माना जाता है और आजकल इसे हर डाइट का मुख्य हिस्सा बना दिया गया है। फिटनेस उत्साही, बॉडीबिल्डर्स और सामान्य स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग आज प्रोटीन-आधारित आहार (Protein-Based Diet) को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है: आखिर कितनी प्रोटीन है ज्यादा?
प्रोटीन हमारे शरीर की ऊतकों की मरम्मत, एंजाइम और हार्मोन के निर्माण, और मांसपेशियों के विकास के लिए अनिवार्य है। चाहे आप मसल्स बनाने की सोच रहे हों या वजन घटाना, एक स्वस्थ जीवन के लिए प्रोटीन आवश्यक है। लेकिन पोषण में, संतुलन सबसे महत्वपूर्ण होता है।
एक सामान्य वयस्क के लिए प्रतिदिन 0.8 ग्राम प्रति किलोग्राम शरीर के वजन के अनुसार प्रोटीन की आवश्यकता होती है। अगर किसी का वजन 70 किलो है, तो उसे लगभग 56 ग्राम प्रोटीन चाहिए। यदि आप ज्यादा शारीरिक गतिविधि करते हैं, तो यह मात्रा बढ़ाई जा सकती है, जो कि 1.2 से 2.0 ग्राम प्रति किलोग्राम तक हो सकती है।
अधिकांश लोगों के लिए, 2 ग्राम प्रति किलोग्राम से अधिक प्रोटीन का सेवन अत्यधिक माना जा सकता है। यदि यह मात्रा 3 ग्राम प्रति किलोग्राम तक पहुंच जाए तो यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। ज्यादा प्रोटीन लेने से किडनी और लिवर पर दबाव बढ़ सकता है।
किडनी पर दबाव: ज्यादा प्रोटीन लेने से किडनी को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इसके कारण किडनी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, खासकर उन लोगों में जिन्हें पहले से किडनी की समस्याएं हैं।
पाचन समस्या: प्रोटीन-आधारित आहार से पाचन तंत्र में पानी की कमी हो सकती है और फाइबर की कमी के कारण कब्ज की समस्या भी हो सकती है।
हड्डियों में कैल्शियम की कमी: उच्च प्रोटीन का सेवन, खासकर पशु-आधारित प्रोटीन, हड्डियों से कैल्शियम को निकाल सकता है, जिससे हड्डियों की कमजोरी का खतरा बढ़ सकता है।
वजन बढ़ना: अतिरिक्त प्रोटीन जो शरीर उपयोग में नहीं लेता है, उसे शरीर वसा के रूप में जमा कर लेता है, जिससे वजन बढ़ सकता है।
हृदय रोग का खतरा: लाल मांस और प्रोसेस्ड मीट जैसे पशु-आधारित प्रोटीन के ज्यादा सेवन से हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है।
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अगर आप ज्यादा प्रोटीन ले रहे हैं तो आपको प्यास ज्यादा लग सकती है, बार-बार पेशाब जाना, पाचन में समस्या, सांस से बदबू, और थकान जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
अपनी आवश्यकता के अनुसार प्रोटीन का हिसाब लगाएं: आपकी शारीरिक गतिविधि के अनुसार प्रोटीन की मात्रा तय करें।
गुणवत्ता पर ध्यान दें, मात्रा पर नहीं: प्रोसेस्ड प्रोटीन की बजाय लीन मीट, दालें, नट्स, बीज और कम फैट वाले डेयरी उत्पाद चुनें।
प्रोटीन का सेवन समय पर करें: छोटे हिस्सों में प्रोटीन लेना मांसपेशियों की सेहत के लिए बेहतर होता है।
हाइड्रेशन बनाए रखें: प्रोटीन के पाचन के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है।
फाइबर युक्त प्रोटीन स्रोत चुनें: दालें, बीन्स, क्विनोआ, और मटर जैसे पौधों-आधारित प्रोटीन फाइबर से भरपूर होते हैं, जो पाचन में सहायक होते हैं।
किडनी और लिवर संबंधी रोगों वाले लोगों को अपनी प्रोटीन मात्रा नियंत्रित रखनी चाहिए। गर्भवती महिलाएं और वृद्धजन भी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विशेषज्ञ से परामर्श करें।
अंत में, प्रोटीन का संतुलन बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक संतुलित आहार जिसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों का सही संयोजन हो, वही असली कुंजी है। ध्यान रखें: प्रोटीन शरीर को बनाता है, लेकिन संतुलन और उचित पोषण जीवन को बनाए रखते हैं।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
Published on:
09 Nov 2024 09:53 am
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