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एेसे रोकें खाने की बर्बादी, जानें क्या है ‘फूड प्रिंट’

locationजयपुरPublished: Jan 01, 2019 12:36:28 pm

क्या किया जाए कि हम अपने फूड प्रिंट कम कर सकें, जिससे खाने की बर्बादी कम हो।

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क्या किया जाए कि हम अपने फूड प्रिंट कम कर सकें, जिससे खाने की बर्बादी कम हो।

कार्बन फुटप्रिंट यानी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा कुल कार्बन उत्सर्जन। इसी तर्ज पर दुनियाभर में ‘फूड प्रिंट’ की चर्चा हो रही है जो हमारे खाने-पीने-खरीदने और सेहत से जुड़ी आदतों पर निर्भर करता है। खाने-पीने की चीजों का कचरा इस तेजी से बढ़ रहा है कि अब दुनिया को कचरा फैक्ट्री कहना गलत न होगा। क्या किया जाए कि हम अपने फूड प्रिंट कम कर सकें, जिससे खाने की बर्बादी कम हो। ये ऐसे सुझाव हैं जो दुनियाभर में ‘थिंक-ईट-सेव’ कैंपेन के माध्यम से अपनाए जा रहे हैं।

खाद्य उत्पादों पर लिखी जानकारी पढ़ें –
डिब्बाबंद या पैकेटबंद वाली चीजों में बंद सामग्री के कंटेंट की समझ बढ़ाएं और एक्सपायरी डेट देखना न भूलें। शॉपिंग मॉल में छूट के लालच में आकर जल्दी एक्सपायर होने वाली चीजें खरीदने से बचें। ब्रांडेड चीज हमेशा अच्छी नहीं होती और सेहत के लिए ब्रांड मोह को त्यागना पड़े तो ऐसा जरूर करें।

खरीदारी में रखें समझदारी –
जब भी बाजार, दुकान या शॉपिंग मॉल में जाएं तो अपनी शॉपिंग लिस्ट में ऐसी चीजों को बढ़ावा दें जो सेहत बनाने में मदद करें। जो भी खरीदें थोड़ी कम मात्रा मेें खरीदें। आप घर में ज्यादा स्टॉक रखेंगे तो निश्चित रूप से शरीर में स्टॉक बढ़ेगा। इससे फूड वेस्टेज भी कम होगा और पैसा भी बचेगा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दिनभर के खाने के पांच हिस्सों में तीन हिस्से फल-सब्जियों के रखें। इनकी खरीदारी के लिए अपने आसपास के मार्केट पर ज्यादा भरोसा करें। ऑर्गेनिक चीजों को बढ़ावा दें क्योंकि ये सब्जियां और फल महंगे जरूर होते हैं लेकिन इनकी गुणवत्ता बेहतर होती है।

बचे खाने को समय रहते खा लें –
फूड प्रिंट घटाने के लिए बचे खाने का समय रहते सदुपयोग जरूर करें। ऐसा करके आप दुनिया में कचरे का भार कम करने में मदद करेंगे। इस काम में थोड़ा क्रिएटिव-इनोवेटिव बनने की जरूरत है। इसके साथ ही अपने मन से यह धारणा पूरी तरह से निकाल दें कि बचा खाना खराब होता है। बचा खाना उसी खाने का हिस्सा होता है जो आपने खाया था। किसी घरेलू समारोह में बचे खाने को भी बर्बाद ना होनेे दें, हो सके तो उसे जरूरतमंदों में बांट दें।

‘जीरो डाउन’फॉर्मूला’ –
अपने समय, बजट और सहूलियत से फ्रिज में स्टोरेज की ऐसी व्यवस्था बनाएं जो सेहत के साथ समझौते न करें। ‘जीरो डाउन फॉर्मूला’ प्रयोग में लाएं और जो कुछ फ्रिज में जमा है उसे खर्च करें और फिर नया खरीदें। लालच में आकर या समय बचाने के चक्कर में फ्रिज में चीजें भरते जाएंगे तो निश्चित रूप से आपको ‘फ्रेश फूड’ की समझ पर फिर से विचार करना पड़ेगा। कई शोधों में पाया गया है कि तनाव के पलों में घर में आपके दो ही ‘दुश्मन’ होते हैं, पहला टीवी और दूसरा फ्रिज।

इनोवेटिव फूडी बनें –
अपना फूड प्रिंट घटाना है तो खुद के अंदर बैठे खाऊ इंसान को थोड़ा इनोवेटिव बनाइए। बची हुई दाल को आटे में गूंथकर परांठे बना लें, उसमें चावल डालकर खिचड़ी बना लें, बची हुई चपातियों का खाखरा बना लें, आप चाहें तो उबले चावलों को फ्राई भी कर सकते हैं। इन उपायों से आपका खाना बेकार भी नहीं होगा और आपको नई डिश भी खाने को मिल जाएगी।

फस्र्ट इन-फस्र्ट आउट –
आमतौर पर लोग फ्रिज में रखी है, के नाम पर चीजों को यूं ही पड़ा रहने देते हैं जैसे धनिया, नींबू, पुदीना आदि जो सप्ताह भर में ही खराब हो जाता है, नतीजन उन्हें फेंकना पड़ता है। अपनी रसोई में एक नियम जरूर बनाएं कि जो चीज पहले खरीदी जाएगी उसे पहले बनाकर खत्म किया जाएगा। यह नियम पश्चिमी देशों में प्रचलित है।

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