scriptFibroids in Uterus: महिलाओं के गर्भाशय में गांठ के कारण होती है गर्भधारण में समस्या | Fibroids in Uterus: fibroids treatment, causes and symptoms | Patrika News

Fibroids in Uterus: महिलाओं के गर्भाशय में गांठ के कारण होती है गर्भधारण में समस्या

locationजयपुरPublished: Jun 25, 2019 02:09:58 pm

Fibroids in Uterus: Fibroids: 30 के बाद कई बार फायब्रॉइड (गर्भाशय में गांठें) मां न बन पाने की एक वजह हो सकती है। 30 के बाद से 45 वर्ष तक की महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है। इस दौरान कई बार हार्मोन संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। इस बीच यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी प्लान करती है और उसे फायब्रॉइड की समस्या है तो गर्भधारण करने में दिक्कत हो सकती है।

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Fibroids in Uterus: Fibroids: 30 के बाद कई बार फायब्रॉइड (गर्भाशय में गांठें) मां न बन पाने की एक वजह हो सकती है। 30 के बाद से 45 वर्ष तक की महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है। इस दौरान कई बार हार्मोन संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। इस बीच यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी प्लान करती है और उसे फायब्रॉइड की समस्या है तो गर्भधारण करने में दिक्कत हो सकती है।

fibroids in Uterus: Fibroids: महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने व गर्भपात जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इसकी एक वजह देर से शादी भी हो सकती है। 30 के बाद कई बार फायब्रॉइड (गर्भाशय में गांठें) मां न बन पाने की एक वजह हो सकती है।

कारण-
अभी स्पष्ट कारण सामने नहीं आए हैं लेकिन विशेषज्ञ फैमिली हिस्ट्री के अलावा यूट्रस से स्त्रावित एस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता को इसकी वजह मानते हैं।

लक्षण –
फायब्रॉइड गर्भाशय के किस हिस्से में है, इसके मुताबिक लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं जैसे- पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग, पेट के निचले हिस्से में दर्द, थकान, यूरिन अधिक या कम होना व यूरिन रुकना आदि। कई बार फायब्रॉइड की लोकेशन ऐसी होती है कि लक्षण भी सामने नहीं आते। ऐसे में इसका पता टैस्ट के दौरान चलता है।

किनको खतरा ज्यादा –
30 के बाद से 45 वर्ष तक की महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है। इस दौरान कई बार हार्मोन संबंधी समस्याएं सामने आती हैं। इस बीच यदि कोई महिला प्रेग्नेंसी प्लान करती है और उसे फायब्रॉइड की समस्या है तो गर्भधारण करने में दिक्कत हो सकती है। यदि गर्भधारण कर भी लिया है तो प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भाशय में एस्ट्रोजन की अधिकता होने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि एस्ट्रोजन हार्मोन फायब्रॉइड को तेजी से बढ़ाते हैं। मेनोपॉज के आसपास भी महिलाओं में इसका रिस्क बढ़ जाता है क्योंकि उस बीच उनमें एस्ट्रोजन का स्त्राव अधिक होता है।

जरूरत के मुताबिक इलाज-
ऐसी महिलाएं जो मां बनना चाहती हैं उनके गर्भाशय से फायब्रॉइड को सर्जरी कर निकालते हैं व समय रहते फैमिली प्लानिंग की सलाह देते हैं क्योंकि यह समस्या दोबारा हो सकती है। या जो मां बन चुकी हैं उनके यूट्रस को निकाल देते हैं। वहीं मेनोपॉज के दौरान महिला को दवा देकर देखरेख में रखते हैं क्योंकि इसके बाद फायब्रॉइड्स को एस्ट्रोजन हार्मोन न मिलने से वे खुद ही समाप्त हो जाते हैं।

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