नागपुर का रहने वाला था कारोबारी नागपुर के कश्मीरी लेन में रहने वाले 51 साल के नरेश तोलानी का प्लास्टिक का बिजनेस था। मार्च के महीने में राज्य में प्लास्टिक बैन की घोषणा होने के बाद उनके बिजनस की डिमांड और सप्लाई कम होने लगी। प्लास्टिक बैन की वजह से डिप्रेशन में थे और कई रातों से सोए नहीं थे। आत्महत्या करने से पहले कारोबारी ने एक चिट्ठी भी छोड़ी थी जिसमें लिखा था ‘मैं प्लास्टिक बंदी की वजह से तंग आ गया हूं। मेरी जान का जिम्मेदार मैं स्वयं हूं।’ इसके बाद सुमित ने भी पिता को ढूंढने के लिए झील में छलांग लगा दी। काफी मशक्कत के बाद सुमित को पिता की लाश मिली।
प्लास्टिक के अलावा नहीं आता कोई काम मरनेवाले कारोबारी की पत्नी के मुताबिक बच्चों के पॉकेट मनी और दूसरी चीजों की डिमांड न करने के चलते वह मायूस हो गए थे। नरेश के एक रिश्तेदार ने बताया कि उन्होंने दूसरे बिजनेस का रुख करने का फैसला किया था लेकिन खर्चा ज्यादा होने की वजह से वह सफल नहीं हो पाए। कारोबारी ने अपनी पत्नी से कहा कि वो प्लास्टिक बेचने के अलावा कुछ नहीं जानते हैं। साथ ही इस उम्र में वह कुछ नए सिरे से शुरू करने के लिए तैयार नहीं थे। आखिरी वक्त में वह उन प्लास्टिक बैग को देख रहे थे जो बैन होने के बाद से बिक नहीं पाए थे।