अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से गरीब देशों में 1.9 डॉलर रोजाना आय (करीब 145 रुपए) को गरीबी का मानक मानते हैं । इस हिसाब से भारत में कोरोना संकट के कारण 15 लाख से 7.6 करोड़ लोग सबसे गरीब लोगों की कैटेगरी में शामिल हो जाएंगे। भारत में पर-कैपिटा सालाना आय 2020 डॉलर (सालाना करीब 1.5 लाख रुपए) है। हमारे देश में 22 फीसदी लोगों की आय 1.9 डॉलर पर डे से कम है। यहां यह बात गौर करने वाली है कि गरीबी रेखा वालों की आय महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (MNAREGA) के तहत मिलने वाले मानदेय से भी कम है।
20 फीसदी तक घट सकती है आय-
इस रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना की वजह से हालत अगर ज्यादा खराब होते हैं तो आय और खपत में 20 फीसदी की कमी आएगी। हालात खराब होने पर लोअर मिडिल क्लास वाले देशों में 54.1 करोड़ नए लोग गरीबी रेखा से नीचे आ जाएंगे। कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया में पैदा होने वाले 10 नए गरीबों में से 2 लोग भारत के होंगे। इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि हालात अगर अनुमान से कम खराब होतो हैं उस सूरत में भी कम सेकम 2.5 करोड़ नए गरीब पैदा होंगे।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी दी है चेतावनी- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने भी इस बारे में चेतावनी देते हुए कहा था कि भारत में 50 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं और अपनी रिपोर्ट में संगठन ने कहा था कि कोरोना की वजह से 40 करोड़ से ज्यादा कामगार और गरीब हो जाएंगे। असंगठित क्षेत्र में बेरोजगारी बढने का मतलब है इनकम और खपत में कमी और यूएनयू ने इसी बात का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया है।