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पाकिस्तान के सामने बड़ा आर्थिक संकट, खतरे में अर्थव्यवस्था

locationनई दिल्लीPublished: Jun 14, 2018 10:00:45 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

पाकिस्तान का एक रुपया भारतीय रुपए से आधा यानी अठन्नी के बराबर पर आ चुका है।

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पाकिस्तान के सामने बड़ा आर्थिक संकट, खतरे में अर्थव्यवस्था

नर्इ दिल्ली। पाकिस्तान की हालत काफी खराब हो चुकी है। यहां बात पड़ोसी देश के आर्थिक मोर्चे की कर रहे हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि पाकिस्तान का एक रुपया भारतीय रुपए से आधा यानी अठन्नी के बराबर पर आ चुका है। वास्तव में मंगलवार को एक अमरीकी डॉलर की क़ीमत 122 पाकिस्तानी रुपए हो गई। सोमवार को डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी रुपए में 3।8 फ़ीसदी की गिरावट आई थी। ताज्जुब की बात तो ये है कि पाकिस्तान का सेंट्रल बैंक पिछले सात महीने में तीन बार रुपए का अवमूल्यन कर चुका है, लेकिन इसका असर नहीं दिख रहा।

चुनाव से पहले पाकिस्तान पर आर्थिक संकट
ईद से पहले पाकिस्तान की हालत देश के लोगों को निराश कर रही है। पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव है और चुनाव से पहले कमज़ोर आर्थिक स्थिति को भविष्य के लिए गंभीर चिंता की तरह देखा जा रहा है। रुपए में भारी गिरावट से साफ़ है कि क़रीब 300 अरब डॉलर की पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है। पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में हो रही लगातार कमी और चालू खाता घाटे का बना रहना पाकिस्तान के लिए ख़तरे की घंटी है और उसे एक बार फिर इंटरनेशनल मॉनिटरिंग फंड यानी अंतरराष्ट्रीय मु्द्रा कोष के पास जाना पड़ सकता है। पाकिस्तान अगर आईएमएफ़ के पास जाता है तो यह पिछले पांच सालों में दूसरी बार होगा। इससे पहले पाकिस्तान 2013 में जा चुका है।

बेबस सरकार
जानकारों की मानें तो पाकिस्तान की अंतरिम सरकार को नीतिगत स्तर पर फ़ैसला लेने की ज़रूरत है। इसके तहत निर्यात बढ़ाना होगा और आयात को कम करना होगा, लेकिन यहां की कार्यवाहक सरकार पर्याप्त क़दम उठा नहीं रही है। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार इस स्तर तक कम हो गया है कि वो सिर्फ़ दो महीने के आयात में ख़त्म हो जाएगा। दिसंबर से लेकर अब तक पाकिस्तानी रुपए में 14 फ़ीसदी की गिरावट आई है।

अब क्या कर सकता है पाक?
जानकारों की मानें तो पाकिस्तान के पास आईएमफ़ के पास जाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। वहीं चीन भी पाकिस्तान को लगातार क़र्ज़ देने में समर्थ नहीं है। वहीं आईएमएफ़ से भी पाक को मदद मिलना आसान नहीं है। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने दिसंबर और मार्च में रुपए में पांच-पांच फ़ीसदी का अवमूल्यन किया था। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बारे में कहा जा रहा था कि इस साल 6 फ़ीसदी की दर से बढ़ेगी, लेकिन आर्थिक मंदी के कारण इस अनुमान के क़रीब पहुंचना आसान नहीं है।

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