
It took more than 1000 days to make constitution how many crores spent
नई दिल्ली। आज पूरा देश लगातार पांचवे साल संविधान दिवस को सेलीब्रेट कर रहा है। दुनिया का सबसे उत्कृष्ट श्रेणी का माने जाने वाला देश का लिखित संविधान सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत की पहचान है। पूरा विश्व जानता है कि भारत में कोई भी कानून बनता है या फैसले लिए जाते हैं वो संविधान के अनुसार ही लिए जाते हैं, उससे इतर नहीं। कई बार सरकार के विरुद्घ विपक्षी पार्टियां पास किए गए कानूनों, कार्रवाईयों या आदेशों को गैर संवैधानिक भी मानती हैं। खैर वो बात अलहदा है कि वो आरोप कितने सही और कितने गलत है। आज हम आपको संविधान के अर्थशास्त्र के बारे में बताने वाले हैं। आखिर संविधान निर्माण से शुरू होने से लेकर संविधान को संविधानप सभा में पास करने तक उस पर कितना खर्च हो गया। आइए आपको भी बताते हैं।
1000 से ज्यादा दिनों में तैयार हुआ संविधान
संविधान के निर्माण में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे। जिसे 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। वर्तमान समय में संविधान में 25 भाग, 470 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं। देश के सभी मार्केट में किताबों की दुकानों, सरकारी और प्राइवेट लाइब्रेरी और शौकीनों के घरों में आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। संविधान की प्रस्तावना को तो स्कूल तक में पढ़ाया जाता है। यहां तक की बच्चों को पूरी प्रस्तवना याद कराई जाती है। स्कूलों की असेंबली में संविधान की प्रस्तावना पढ़ाया जाता है। देश संविधान से ही चलता है। देश में संसद और संविधान सर्वोपरी है। उससे ऊपर कोई नहीं।
इतने सदस्यों के सामने पास हुआ था संविधान
वैसे तो देश के आजाद होने से पहले देश के संविधान निर्माण की प्रकिया शुरू हो गई थी। जिसके तहत एक कमेटी का गठन हुआ था। विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर, 1947 को किया गया। 31 दिसंबर 1947 को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थीं, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या एवं देसी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी। संविधान का तीसरा वाचन 14 नवंबर, 1949 को प्रारम्भ हुआ, जो 26 नवंबर 1949 तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। उस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
इतने करोड़ रुपए हुए खर्च
अब सवाल ये है कि संविधान के निर्माण में कितने रुपया खर्च हुआ होगा? ये सवाल इसलिए लाजिमी है, क्योंकि उस दौरान करीब 300 लोग इस काम में लगे हुए थे। कई देशों का दौरा भी हुआ होगा। उन लोगों की सैलरी और इस दौरान इस्तेमाल हुई स्टेशनरी तक को जोड़ दिया जाए, तो संविधान के लागू होने तक उस पर 6.4 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। अगर उस हिसाब से इस कीमत की आज के समय पर गणना की जाए तो कई सौ करोड़ रुपए बैठ जाएंगे।
Updated on:
26 Nov 2020 02:48 pm
Published on:
26 Nov 2020 02:33 pm
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