क्या हैं नए आंकड़े ? 2010-11 में अर्थव्यवस्था में वृद्धि का अनुमान पहले 10.3 प्रतिशत लगाया गया था, जबकि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी ताजा समायोजित आंकड़ों के अनुसार 2010-11 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही। इसी प्रकार 2005-06 में 9.3 प्रतिशत के वृद्धि दर के आंकड़े को घटाकर 7.9 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं साल 2006-07 के 9.3 प्रतिशत के वृद्धि दर को अब 8.1 प्रतिशत किया गया है। बात अगर साल 2007-08 की करें तो इस वर्ष के जीडीपी आंकड़े में भी कटौती देखने को मिली। साल 2007-08 की जीडीपी अब 7.7 प्रतिशत कर दी गई है। 2008-09 के वृद्धि दर के आंकड़ों को 3.9 से घटाकर 3.1 प्रतिशत किया गया है। साल 2009-10 के लिए इसे 8.5 से घटाकर 7.9 प्रतिशत और 2011-12 के लिए 6.6 से घटाकर 5.2 प्रतिशत किया गया है।
अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों की वजह से आया अंतर इस संदर्भ में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों में अंतर अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र जैसे खनन, उत्खनन और दूरसंचार क्षेत्र के आंकड़ों के हिसाब से नए सिरे से सुधार करने के हिसाब से आया है।
सरकार का इरादा गुमराह करने का नहीं कुमार का कहना है कि, ‘सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाता सीरीज के अपडेशन के एक जटिल काम को पूरा किया है। नई सीरीज से आंकड़े निकालने के तरीके में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सीएसओ अधिकारियों द्वारा की गई कड़ी मेहनत का नतीजा है। सरकार का इरादा गुमराह करने का नहीं है।’