
नई दिल्ली। आर्थिक मंदी के इस दौर में भारत सरकार को आरबीआई के साथ दुनिया की नामी आर्थिक एजेंसिया भी झटका दे रही हैं। अब जो झटका दिया है वो मूडीज है। मूडीज ने वित्त वर्ष 2019-20 की अनुमानित विकास दर कम करते हुए 6 फीसदी से नीचे खिसका दिया है। जबकि इससे पहले मूडीज ने 6.2 फीसदी का अनुमान लगाया था। रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में यह विकास दर 6.6 फीसदी तक पहुंच सकती है। जिसके आने वाले सालों में 7 फीसदी के पहुंचने के आसार हैं। आपको बता दें कि हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से भारत की अनुमानित विकास दर को 6.8 फीसदी से घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया था।
मूडीज ने विकास दर घटाने का यह बताया कारण
मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार भारत की जीडीपी के 8 फीसदी तक पहुंचने के आसार थे। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा निवेश आधारित सुस्ती ने जीडीपी को कमजोर करने का काम किया। वहीं मांग में कमी, ग्रामीण इलाकों में आर्थिक दबाव, उच्च बेरोजगारी दर और गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान के पास कैश की किल्लत जैसी समस्याओं ने आर्थिक सुस्ती की समस्या को और ज्यादा गंभीर बनाया।
कर्ज का भी बढ़ेगा बोझ
मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार अगर अर्थव्यवस्था में सुस्ती जारी रही तो कई गंभीर परिणाम सामने आएंगे। जिसके कारण राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। आपको बता दें कि सरकार की ओर से कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान किया हुआ था, जिसकी वजह से सरकारी खजाने पर 1.5 लाख करोड़ का बोझ पडऩे के आसार हैं। मूडीज के अनुसार इस छूटसे वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राजकोषीय घाटे का आंकड़ा जीडीपी के 3.70 फीसदी पर पहुंच सकता है। वहीं सरकार ने राजकोषीय घाटे का अनुमान 3.30 फीसदी रखा है।
Updated on:
11 Oct 2019 07:44 am
Published on:
10 Oct 2019 03:23 pm
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