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ओईसीडी का अनुमान, भारत की विकास दर 5.8 फीसदी रहने का अनुमान

अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ओईसीडी ने इंडियन इकोनॉमी को लेकर जारी की रिपोर्ट 2020 में 6.2 फीसदी और 2021 में 6.4 फीसदी रह सकती है देश की जीडीपी

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OECD estimates, India's growth rate to be 5.8 percent in 2019-20

OECD estimates, India's growth rate to be 5.8 percent in 2019-20

नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ओईसीडी ( OECD ) ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद ( gdp rate ) की वृद्धि दर 5.8 फीसदी रहेगी। हाल ही में दूसरी तिमाही के लिए आधिकारिक जीडीपी 4.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था और उसके बाद से यह पहला अंतर्राष्ट्रीय वृद्धि दर अनुमान है।

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2020 और 2021 में यह रह सकती है देश की जीडीपी दर
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन एक अंतरसरकारी आर्थिक संगठन है, जिसमें 36 देश शामिल हैं। इसकी स्थापना 1961 में आर्थिक प्रगति और विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से हुई थी। सर्वेक्षण में बताया गया है कि कई वर्षो के बेहतरीन वृद्धि के बाद 2019 में जीडीपी दर 5.8 फीसदी तक गिरने के बाद यह 2020 में 6.2 फीसदी और 2021 में 6.4 फीसदी तक की रफ्तार पकड़ लेगा। ओईसीडी ने अपने सर्वेक्षण में कहा कि उच्च स्तर पर वृद्धि को बहाल करना नौकरियों के सृजन के लिए जरूरी है और निवेश और निर्यात में तेजी लाने के लिए ढांचागत सुधारों की गति तेज करने की आवश्यकता है।

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1990 से अब तक
भारत ने 1990 के दशक में टैरिफ में गिरावट के बाद से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी बढ़ाई है। 2018 में देश की वैश्विक वस्तु एवं सेवा निर्यात में हिस्सेदारी बढ़कर 2.1 फीसदी हो गई थी, जोकि 1990 के दशक के शुरुआती समय से 0.5 फीसदी अधिक था। इसकी कारण सूचना प्रौद्योगिकी और चिकित्सा के क्षेत्र में जबरदस्त प्रदर्शन करना था। इसके अलावा अन्य आधारभूत संबंधी बाधाओं को बंदरगाहों का आधुनिकीकरण करके और सड़कों का निर्माण करके दूर करना भारत की प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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लाखों भारतीय गरीबी से बाहर
ओईसीडी ने कहा, "सेवा व्यापार प्रतिबंधों में बहुपक्षीय कटौती का भारत सबसे बड़ा लाभार्थी होगा। यहां तक कि बिना बहुपक्षीय समझौते के, नियमों के निरीक्षण को लेकर आगे बढऩे का सकारात्मक प्रभाव होगा।" सर्वेक्षण के अनुसार, "हाल के वर्षो में हालांकि लाखों भारतीय गरीबी से बाहर निकले हैं, लेकिन कईयों को औपचारिक रोजगार सुविधाएं नहीं मिली है। जटिल श्रम कानूनों को और सरल करने से देश के तेजी से बढ़ते पढ़े-लिखे युवा आबादी की गुणवत्तापूर्ण नौकरियों में हिस्सेदारी बढ़ेगी, जहां अधिकांश रोजगार अनौपचारिक हैं।"