महंगाई बढऩे से गरीबी रेखा में रहने वालों की संख्या में 40 लाख का और इजाफा हो जायेगा जबकि इस साल दस लाख लोग और बेरोजगार हो जाएंगे। महंगाई का यह स्तर अप्रैल 2014 के बाद का सर्वाधिक है। उस समय महंगाई 9.2 फीसदी आंकी गई थी। मार्च महीने में ही महंगाई एक माह पहले की तुलना में 1.42 फीसदी बढ़ गई है।
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई दहाई अंक में पहुंचने और आर्थिक विकास की गति तीन फीसदी से नीचे रहने से देश मुद्रास्फीति जनित मंदी की जाल में फंस सकता है। मुद्रस्फीति जनित मंदी में वस्तुओं और सेवाओं के दाम में तो बढ़ोतरी होती ही है। इस स्थिति में आर्थिक विकास गति मंद पड़ जाती हैं और बेरोजगारी की दर बढ़ जाती है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने एक अप्रैल को ईंधन के दामों में भारी बढ़ोतरी की है। अप्रैल माह के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम छह-छह रुपए प्रति लीटर बढ़कर नौ माह के उच्च स्तर क्रमश: 98.89 रुपए और 117.43 रुपए प्रति लीटर हो गए हैं।