मोदी सरकार बेराजगारी का कलंक
मोदी सरकार पर बेरोजगारी पर ध्यान ना देने का कलंक लगा हुआ है। वैसे सरकार अपने पहले कार्यकाल में मुद्रा योजना और तमाम बातों से सफाई दे चुकी है। लेकिन युवाओं को अब भी लगता है कि सरकार की ओर से रोजगार को लेकर कोई खास कदम नहीं उठाएं हैं। हाल ही में सरकार की ओर से जो आंकड़े जारी हुए हैं उसमें साफ कहा गया है कि 2017-18 में बेरोजगारी 45 साल के उच्च स्तर 6.1 फीसदी पर पहुंची। वित्त वर्ष 2018-19 में आर्थिक वृद्धि दर (2011-12 की कीमतों पर) भी पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही. इससे पिछले वित्त वर्ष 2017-18 में यह 7.2 फीसदी थी।
यह भी पढ़ेंः- Petrol-diesel price Today: पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर, जानिए क्या चुकाने होंगे आपको दाम
जीडीपी में भी आई थी कमी
वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े थे। जिसमें देश की जीडीपी 6 फीसदी से नीचे आ गई थी। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन की वजह से 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी दर 5.8 फीसदी हो गई थी जो पांच सालों का न्यूनतम स्तर था। जिसके बाद भारत आर्थिक वृद्धि दर के मामले में चीन से पिछड़ गया था।
यह भी पढ़ेंः- आयात शुल्क बढ़ने के बाद बाजार से नदारद हुए अमरीकी सेब, इतने बढ़े भाव
इसलिए भी अहम है यह बैठक
वहीं दूसरी ओर इस बैठक को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्यों कि 5 जुलाई को बजट है। बजट आने से पहले पीएम मोदी विपक्ष के लिए विरोध का कोई सुराग नहीं छोडऩा चाहते हैं। ऐसे में पीएम मोदी चाहते हैं कि इस नए कार्यकाल का बजट ऐसा हो जो देश की जीडीपी को आगे ले जाने वाले के साथ रोजगार भी पैदा करे। साथ ही देश के राजकोषीय घाटे को कम से कम किया जा सके।
Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार, फाइनेंस, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट, म्युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.