
War Against Corona: suplus Grain made big weapons for country
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की वजह से 21 दिनों के लॉकडाउन को एक हफ्ता हो चुका है। अभी देश को दो हफ्तों तक यह लॉकडाउन बर्दाश्त करना है। इस दौरान देश के कई सेक्टर्स की हालत खराब हो गई है। आज मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की पीएमआई आई है, जो कि चार महीने के निचले स्तर पर है। मार्च का जीएसटी कलेक्शन चार महीने बाद एक लाख करोड़ से नीचे है। हॉजरी, स्टील, ई-कॉमर्स, ऑटो ऐसे कई सेक्टर्स नाम लिए जा सकते है। वहीं दूसरी ओर देश का एग्रीकल्चर सेक्टर अभी तक जिंदा है। आंकड़ों की मानें तो देश में अगर लॉकडाउन की स्थिति और एक साल भी रही तो देश किसान लोगों को भूखा नहीं मरने देगा। आइए आपको भी देश में देश के अनाज की स्थिति और सरकार के किए गए प्रयासों के बारे में बताते हैं।
मजबूत है देश की कृषि बुनियाद
देश की कृषि संबंधी बुनियादी बातें और जरुरतें काफी मजबूत हैं। एग्रीकल्चर सेक्टर के एक्सपर्ट देविंदर शर्मा के अनुसार लॉकडाउन होने के बाद भी एग्रीकल्चर सेक्टर अकेला ऐसा है जो देश को भूखा मरने की नौबत नहीं आने देगा। लगातार एक साल तक देश की जनता तीनों टाइम पेट भरकर खाना खा सकता है। देश के पास अनाज और सरप्लस अनाज की कोई कमी नहीं है। देश गरीबों को नहीं पूरे देश को आराम से बिठाकर खिला सकता है। इतना अनाज देश के पास है।
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आंकड़ों के नजरिये से समझें
कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस के अनुसार देश के अंदर जुलाई के महीने के 847 लाख टन अनाज का स्टॉक होगा। वहीं बात गेहूं की करें तो ताजे गेंहू की कटाई के बाद देश में इसका स्टॉक 463 लाख टन हो जाएगा। ऐसे में आप आसानी से समझ सकते हैं कि देश में किनता गेहूं और अनाज रखा हुआ है। आपको बता दें कि देश की जीडीपी में एग्रीकल्चर सेक्टर की हिस्सेदारी 15 फीसदी है। वहीं देश की 50 फीसदी आबादी को रोजगार दे रहा है। जिस पर देश की सरकार को और ध्यान देने की जरुरत है।
तीन गुना होनी चाहिए किसानों की राहत
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट देविंदर शर्मा के अनुसार आज देश में अनाज का सरप्लस है, इसलिए सरकार ने गरीबों को 5 किलो अनाज मुफ्त में देने का फैसला किया है। अगर ये सरप्लस का हथियार लॉकडाउन में सरकार और गरीबों के लिए एक बड़ा हथियार बना है। ऐसे में सरकार ने जो राहत की रकम 2,000 रुपए की दी है, उसे बढ़ाकर 6,000 रुपए कर देनी चाहिए।
आखिर क्या कर रहा है इंग्लैंड
अगर बात इंग्लैंड की करें तो वो 60 फीसदी अनाज का प्रोडक्शन कर रहा है। वहीं 40 फीसदी अनाज का आयात करता। इसके बाद भी अनाज की कमी ना हो और देश का कोई भूखा ना रहे इसके लिए देश के पीएम ने शहरी लोगों से गांव में जाकर किसानों की मदद करने को कहा है। इससे देश में अनाज और खाने-पीने सामान की कोई कमी नहीं होगी।
Updated on:
02 Apr 2020 04:13 pm
Published on:
02 Apr 2020 04:12 pm
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