
Why India is the cause of global recession after US-China trade war?
नई दिल्ली। दिन 21 जनवरी 2020, स्थान दावोस और मौका वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम का मंच। जहां ये इंटरनेशनल मोनेटरी फंड की चीफ गीता गोपीनाथ ने कहा था कि भारतीय जीडीपी में गिरावट का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। इस पूरे वाक्य के कई मायने है। उन्होंने यह भी कहा था कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की इकोनॉमी की भागीदारी काफी अहम है। क्या किसी ने यह सोचने का प्रयास किया कि गीता गोपीनाथ ने आखिरकार यह कहा क्यों?
भारत अभी तक विकसित देशों की श्रेणी में नहीं आया है। उसके बाद भी भारत में गिरावट देखी जाती है तो उसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति में दिखाई क्यों दे रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि दुनिया की इकोनॉमिक ग्रोथ में चीन और अमरीका के बाद भारत तीसरे नंबर का आर्थिक भागीदार है। तीनों देशों की भागीदारी 56 फीसदी से ज्यादा हो गई है। इसमें भारत की भागीदारी 7 फीसदी से ज्यादा है। 1970 के बाद 50 सालों में भारत दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्थाओं में अपना नाम शुमार करा चुका है। ऐसे में देश की जिम्मेदारी भी ज्यादा बढ़ जाती है कि वह अपनी अर्थव्यवस्था को इस तरह से बढ़ाए, जिसका असर दुनिया की इकोनॉमी सकारात्मक हो, न कि नकारात्मक।
आकार में 7वीं और योगदान में तीसरी अर्थव्यवस्था है भारत
वैश्विक तौर पर देखें तो भारत की इकोनॉमी आकार के मामले में 7वें पायदान पर है, लेकिन खास बात यह है कि ग्लोबल ग्रोथ में योगदान के मामले में भारत सिर्फ चीन और अमरीका से ही पीछे है। इसका मतलब यह है कि भारत का योगदान ग्लोबल ग्रोथ में तीसरे नंबर पर है। यह बात 2018 में हुए एक सर्वे में सामने आई है। भारत, चीन और अमरीका का ग्लोबल ग्रोथ में योगदान 56.90 फीसदी है।
ताज्जुब की बात तो ये है कि 1970 में भारत का नाम इस श्रेणी में काफी नीचे था। चीन भी कहीं दिखाई नहीं देता था। 1970 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के ग्रोथ में अमरीका, जापान, जर्मनी, फ्रांस और यूके का कुल योगदान 46.40 फीसदी था। उन पांच देशों का योगदान 50 फीसदी से नीचे था। आज सिर्फ तीन देशों का योगदान 55 फीसदी से अधिक है। तभी आईएमएफ चीफ ने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी में भारत का योगदान काफी अहम है।
ग्लोबल ग्रोथ में किस देश का कितना योगदान
| देश | योगदान ( फीसदी में ) |
| चीन | 27.90 |
| अमरीका | 21.30 |
| भारत | 7.6 |
| जर्मनी | 2.5 |
| फ्रांस | 2.1 |
| जापान | 2 |
| यूके | 1.7 |
ग्लोबल जीडीपी में भी बढ़ा योगदान
भारत का सिर्फ ग्लोबल ग्रोथ में ही योगदान नहीं बढ़ा है, बल्कि ग्लोबल जीडीपी में भी कंट्रिब्यूशन बढ़ गया है। 50 सालों में अमरीका का योगदान कम हुआ है, जबकि भारत और चीन के योगदान में भारी इजाफा देखने को मिला है। फ्रांस, यूके, जर्मनी, जापान जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत ने खुद को स्थापित करने की सफल कोशिश की है। इसके साथ-साथ वह दुनिया का सबसे बड़ा बाजार भी बना है। ऐसे में ग्लोबल स्तर पर भारत की जिम्मेदारी भी ज्यादा बढ़ जाती है, ताकि दुनिया की अर्थव्यवस्था पर कोई बुरा असर न पड़े, क्योंकि भारत में छाई सुस्ती और तेजी का ग्लोबल इकोनॉमी पर सीधा असर देखने को मिलता है।
50 सालों में ग्लोबल जीडीपी में बढ़ा भारत का योगदान
| देश | 1970 ( फीसदी में ) | 2018 ( फीसदी में ) |
| अमरीका | 36.20 | 23.9 |
| चीन | 3.1 | 12.70 |
| भारत | 2.1 | 3.2 |
| फ्रांस | 5 | 3.2 |
| यूके | 4.4 | 3.3 |
| जर्मनी | 7.3 | 4.6 |
| जापान | 7.2 | 5.8 |
बजट पर रहेगी दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की नजर
एक फरवरी को देश का बजट आने वाला है। भारत मंदी की चपेट में है। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते इस बजट पर दुनिया की सभी बड़ी आर्थिक एजेंसियों और देशों की नजरें टिकी होंगी। वो देखना चाहेंगी कि भारत सरकार मंदी से उबरने के लिए बजट में किस तरह के प्रावधान करने जा रही है। इस बजट से यह तय होगा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के सपने को पूरा कर पाएगा या नहीं। क्योंकि मौजूदा समय में भारत की विकास दर 5 फीसदी से भी नीचे है। ऐसे में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए यह बजट काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है।
Updated on:
30 Jan 2020 05:12 pm
Published on:
30 Jan 2020 02:36 pm
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