
देश में अब प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्दति का वैभव वापस से लौटने वाला है। देश में चल रहे गुरुकुलो में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अब मेन स्ट्रीम सिस्टम में लाया जा सकेगा। इसके लिए कई राज्यों की सरकारों ने सहमति जताई है। ये राज्य सरकारें गुरुकुल की शिक्षा पद्दति को भी दूसरे स्कूल और कॉलेजों की तरह ही मान्यता देने को तैयार हैं। इस बारे में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तो ऐलान कर दिया है और इस दिशा में काम शुरू भी कर दिया है। अब यह काम हरियाणा, कर्नाटक, पंजाब, असम, महाराष्ट्र, उत्तराखंड में भी जल्द होने वाला है।
रजिस्ट्रेशन से शुरुआत
इस बारे में लंबी चर्चा उज्जैन में तीन दिन तक चले विराट गुरुकुल सम्मेलन में हुई। इसमें गुरुकुल कैसे चलने चाहिए और कैसे इन्हें प्रमोट किया जाना चाहिए इस बातचीत हुई। भारतीय शिक्षण मंडल के संगठन मंत्री मुकुल कानितकर ने कहा कि सबसे पहले गुरुकुलों का रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा जिसके लिए कई राज्य सरकारों से बातचीत की जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी गुरुकुलों में छात्रों को नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क से भी ज्यादा पढ़ाया जाता है और यदि लर्निंग आउटकम का टेस्ट लें तो गुरुकुल के स्टूडेंट्स दूसरे स्कूल-कॉलेजों के स्टूडेंट्स से कमतर नहीं होंगे।
मंत्री ने कहा कि सारे गुरुकुलों का रजिस्ट्रेशन होने के बाद उनका एक्रीडीटेशन किया जाएगा। यह काम राज्य सरकारें करेंगी। इसको सांदिपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान प्रमाणित करेगा। इसके बाद जो गुरुकुल 10वीं तक की शिक्षा के लिए प्रमाणित होगा सर्टिफिकेट दिया जाएगा। इसके बाद जो 12वीं के लिए होगा अथवा ग्रेजुएशन के स्तर पर प्रमाणित होगा उसको उसी के हिसाब से सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
यह परंपरा है बड़ी चुनौति
उन्होंने कहा कि गुरुकुल की पढ़ाई 6 साल की उम्र से शुरू होती है। लेकिन 3 साल में बच्चों को स्कूल भेजने की अभी जो परंपरा चल पड़ी है उससे गुरुकुल के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी होगी। इसके लि यह तय करना है कि 6 साल से पहले बच्चे को किस तरह इंगेज किया जाए। इस बारे में समाधान खोजने के लिए चर्चा चल रही है। इसके अलावा दूसरी चुनौती यह है कि किस तरह गुरुकुलों के लिए आचार्य तैयार किए जाएं। फिलहाल देशभर में चल रहे गुरुकुलों में लगभग 10 लाख बच्चे पढ़ते हैं।
ऐसे तैयार होंगे आचार्य
गुरूकुलों में पढ़ाने के लिए आचार्य अलग—अलग फील्ड के विद्वानों को लेकर तैयार किए जाएंगे। ये आचार्य स्वाध्याय वर्ग लेकर आएंगे जो 7-8 दिन का होगा। इसको इसी साल अक्टूबर से शुरू किया जा सकता है। इसलिए जो लोग इन गुरूकुलों में आचार्य बनने के इच्छुक हैं लेकिन किसी एक विषय के विद्वान नहीं हैं उनके लिए 2 साल का कोर्स तैयार किया गया है। इस कोर्स को करने के बाद वो गुरूकुल में शिक्षा दे सकेंगे।
Published on:
01 May 2018 04:29 pm
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