बढ़ाया गुरु ने हाथ तो पथरीली राह भी हुई आसान
बांसवाड़ाPublished: Sep 23, 2022 05:19:26 pm
If the guru extended his hand, then the rocky road also became easy स्कूल का भारी बस्ता, पांच से सात किलोमीटर दूर तक की पथरीली राह, घाटियों का दर्रा। इसके बावजूद चेहरें पर मुस्कान एवं जल्द से जल्द स्कूल पहुंचने के जज्बे में दौड़ते कदम। यह सुखद नजारा उस वक्त और खुशनुमा हो जाता है, जब शिक्षक भी उन्हें जल्द से जल्द स्कूल पहुंचाने के लिए प्रेरणास्त्रोत बन उनके साथ दौड़ पड़ते हैं।


If the guru extended his hand, then the rocky road also became easy
नरेन्द्र वर्मा @ बांसवाड़ा। स्कूल का भारी बस्ता, पांच से सात किलोमीटर दूर तक की पथरीली राह, घाटियों का दर्रा। इसके बावजूद चेहरें पर मुस्कान एवं जल्द से जल्द स्कूल पहुंचने के जज्बे में दौड़ते कदम। यह सुखद नजारा उस वक्त और खुशनुमा हो जाता है, जब शिक्षक भी उन्हें जल्द से जल्द स्कूल पहुंचाने के लिए प्रेरणास्त्रोत बन उनके साथ दौड़ पड़ते हैं। जटिल परििस्थतियों बावजूद पढ़ाई के लिए ऐसी जीवटता और उत्साह शायद ही कहीं और नजर आए। लेकिन ये बांसवाड़ा जिले का प्राकृतिक सौंदर्य ही है जो तकलीफों को पीछे छोड़ भविष्य की सुनहरी इबारत लिखने का जज्बा देता है। और ऐसा ही जज्बा देखने को मिला काकनसेजा िस्थत राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय चाचाकोटा में। If the guru extended his hand, then the rocky road also became easy