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कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि सभी उम्मीदवारों को समान अवसर मिलना चाहिए और दो अलग-अलग पालियों में आयोजित परीक्षाओं में ऐसा संभव नहीं हो पाता। जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस अंजारिया ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, “दो पेपर्स की कठिनाई का स्तर कभी एक जैसा नहीं हो सकता। इससे निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।” कोर्ट ने यह भी कहा कि पिछले वर्षों में भले ही विशेष परिस्थितियों के चलते परीक्षा को दो पालियों में कराया गया हो, लेकिन अब परीक्षा प्राधिकरण को एकल पाली में परीक्षा आयोजित करने की ओर बढ़ना चाहिए।
NBE के तर्क को सुप्रीम कोर्ट ने नकारा
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड की ओर से यह दलील दी गई थी कि एक ही समय में परीक्षा आयोजित करने के लिए देशभर में पर्याप्त परीक्षा केंद्र उपलब्ध नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा, “देश में तकनीकी ढांचे और संसाधनों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि पर्याप्त केंद्र उपलब्ध नहीं हो सकते।”
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
कोर्ट ने NBE को स्पष्ट आदेश दिया कि परीक्षा 15 जून को एक ही पाली में कराई जाए और इसके लिए उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। साथ ही, पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने पर भी बल दिया गया। न्यायालय ने यह भी कहा कि कठिनाई स्तर में अंतर के कारण नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया एक अपवाद हो सकती है, लेकिन इसे हर साल एक मानक के तौर पर लागू करना न्यायसंगत नहीं है।