विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति माता-पिता एवं अभिभावकों की सहमति पर निर्भर होगी। माता-पिता एवं अभिभावकों द्वारा एक बार दी गई सहमति पूरे सत्र के लिए मान्य होगी। जारी निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी। जो विद्यार्थी विद्यालय की अपेक्षा ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से पढ़ना चाहते हैं उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी।
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आवासीय विद्यालय ‘डे स्कूल’ के रूप में खोले जा सकेंगे। विद्यालयों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही परिवहन सुविधा में वाहनों में समुचित शारीरिक दूरी सुनिश्चित की जाएगी और वाहनों को समय-समय पर सैनिटाइज किया जाएगा। प्रदेश के सभी शासकीय स्कूलों में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ की उपस्थिति शत-प्रतिशत होगी।
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विद्यालय में प्रार्थना, सामूहिक गतिविधियां, खेलकूद, स्विमिंग पूल आदि गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी। किसी भी स्थिति में विद्यार्थी एक स्थान पर एकत्रित न हों इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा। शिक्षण सत्र के आरंभ एवं संचालन के लिए यह निर्देश सभी जिलों के कलेक्टर, सभी जिला शिक्षा अधिकारी और सभी सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास को दिए गए हैं।