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Success Story: पिकअप ड्राइवर की बेटी बनी SDM, रिजल्ट आने पर फूट-फूटकर रोए पिता, जानिए ज्योति रानी की सक्सेस स्टोरी

Success Story Jyoti Rani Success Story: ज्योति बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता पिक अप ड्राइवर हैं और मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। फिर भी उन्होंने बीपीएससी 67वीं परीक्षा में सफलता हासिल की। जानिए उनकी कहानी-

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Success Story Jyoti Rani SDM

ज्योति रानी सक्सेस स्टोरी (क्रेडिट- इंस्टाग्राम)

Success Story Jyoti Rani Success Story: वक्त और हालात लाख चाहे आपको कमजोर बनाए, अगर कुछ करने की चाह हो तो मंजिल मिल ही जाती है। कुछ ऐसी ही कहानी है, SDM ज्योति रानी की। ज्योति रानी ने आर्थिक तंगी और मुश्किलों से लड़कर अपनी पहचान बनाई है। आइए, जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी-

पिता पिकअप ड्राइवर और मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

ज्योति बिहार के पूर्वी चंपारण जिले की रहने वाली हैं। उनके पिता पिकअप ड्राइवर हैं और मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। ज्योति ने अपने मुश्किल हालातों से हार नहीं मानी और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा पास करके सीनियर डिप्टी कलेक्टर बन गईं।

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कोविड के समय छूटी नौकरी

ज्योति रानी ने पटना से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद उन्होंने IIT की तैयारी के लिए एक साल का ब्रेक लिया। लेकिन इसमें सफलता नहीं हासिल हुई। इसके बाद उन्होंने जयपुर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में ब्रांच में BTech की डिग्री हासिल की। बीटेक की डिग्री पूरी करने के बाद उन्हें 6 लाख रुपये पैकेज वाली प्राइवेट कंपनी में एक नौकरी मिली। लेकिन COVID 19 के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी।

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यूट्यूब को गाइड बनाकर की बीपीएससी की तैयारी

हार कर उन्होने बीपीएससी की तैयारी शुरू की, जिसके लिए उन्होंने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया बल्कि सेल्फ स्टडी पर फोकस किया। इसी के साथ उन्होंने यूट्यूब को अपना गाइड बनाया। कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के दम पर उन्होंने 67वीं BPSC में 256वीं रैंक हासिल की। उनकी पहली पोस्टिंग पश्चिम चंपारण में हुई थी। ज्योति ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि रिजल्ट आने के बाद वो और उनके पिता खूब रोए थे।

बिहार की ज्योति की कहानी उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो कुछ करना चाहती हैं। ज्योति ने ये साबित किया कि परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, व्यक्ति ठान लें तो सफलता आपके कदम चूमती है। उनकी ये सफलता सिर्फ खुद की पहचान बनाने के लिए नहीं बल्कि उनके परिवार के लिए भी काफी महत्वपूर्ण थी।