
Sunita Williams: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को लेकर जरुरी खबर सामने आई है। सुनीता विलियम्स को 8 दिनों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजी गई थी। लेकिन तकनीकी खराबी के चलते यह मिशन अनुमान से बहुत अधिक लंबा खिंच गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनीता 12 मार्च 2025 को धरती पर वापस लौटने वाली हैं। लेकिन हम आपको सुनीता विलियम्स की शुरूआती शिक्षा से लेकर उनकी सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है। NASA में उनकी अद्भुत उपलब्धियों ने खासतौर पर महिलाओं और युवाओं को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। उनका जीवन संघर्ष और सफलता की प्रेरक कहानी है।
सुनीता लिन विलियम्स का जन्म 19 सितंबर 1965 को यूक्लिड, ओहियो, अमेरिका में हुआ। उनके पिता डॉ. दीपक पांड्या भारतीय मूल के और उनकी मां बोनी पांड्या स्लोवाक मूल की हैं। उन्होंने 1983 में Massachusetts के Needham High School से पढ़ाई पूरी की। इसके बाद, 1987 में उन्होंने United States Naval Academy से physics में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। US Navy में शामिल होने के बाद उन्होंने 1995 में Florida Institute of Technology से इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल की। सुनीता पढ़ाई में काफी होनहार थीं। उन्होंने स्कूल कॉलेज में कई मेडल भी जीती थी।
सुनीता विलियम्स का अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना 1998 में तब शुरू हुआ, जब नासा ने उन्हें अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम के लिए चुना। हालांकि सुनीता शुरू में डॉक्टर( पशु चिकित्सक) बनना चाहती थी। लेकिन उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि मैं एस्ट्रोनॉट ही बनना चाहती थी, मेरी इच्छा पशु चिकित्सक बनने की थी। बचपन से ही पशुओं के प्रति प्रेम था लेकिन जीवन में कई मोड़ आते गए और जीवन कही और मुड़ गई। नासा ज्वाइन करने के बाद लंबी ट्रेनिंग के बाद, दिसंबर 2006 में उन्होंने अपने पहले अंतरिक्ष मिशन पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की।
अपने कई अंतरिक्ष मिशन के दौरान, सुनीता ने कई अनोखे रिकॉर्ड बनाए। उन्होंने अंतरिक्ष में रहते हुए ट्रेडमिल पर दौड़कर बोस्टन मैराथन में भाग लिया, जो एक अनोखी उपलब्धि थी। सुनीता ने कुल मिलाकर 322 दिन अंतरिक्ष में बिताए, जिसमें उन्होंने 7 बार स्पेसवॉक किया और 50 घंटे से अधिक समय अंतरिक्ष में चहलकदमी की। यह रिकॉर्ड आज भी उनके नामा दर्ज है। अपने शानदार करियर के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मान और पुरूस्कार मिले। उन्हें नासा स्पेस फ्लाइट मेडल और नौसेना प्रशस्ति पदक जैसे पुरस्कारों से नवाजा गया। भारत सरकार ने 2008 में उन्हें "पद्म भूषण" पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
सुनीता विलियम्स नासा के "Artemis Program" का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य इंसानों को फिर से चंद्रमा पर ले जाना और मंगल ग्रह तक पहुंच बनाना है। उनकी मेहनत और योगदान अंतरिक्ष के भविष्य को नया रूप देने में मदद कर रहा है।
Updated on:
06 Jul 2025 10:37 am
Published on:
13 Feb 2025 04:25 pm
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