असम में दोबारा सरकार बनाने में बीजेपी कामयाब होगी या फिर कांग्रेस गठबंधन बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर सरकार बना पाएगा, इसका फैसला तो दो मई को होगा। लेकिन इस बीच असम की एक जिला काफी सुर्खियों में है। दरअसल इस जिले का बिहार से खास कनेक्शन हैं। आइए जानते हैं क्यों इस सीट पर सबकी नजर टिकी है।
यह भी पढ़ेंः Assam Assembly Elections 2021 20 बैंक खातों और 429 गाड़ियों के मालिक, जानिए सबसे अमीर उम्मीदवार की कुल संपत्ति वैसे तो असम पूर्वोत्तर का अहम राज्य माना जाता है, लेकिन यहां भी बिहार का खास कनेक्शन है। ये कनेक्शन तिनसुकिया जिले का। जी हां तिनसुकिया विधानसभा क्षेत्र को मिनी बिहार के रूप में भी जाना जाता है।
दरअसल यहां पर बिहार समुदाय के लोग बड़ी तादाद में है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में जड़े जमाने के लिए दलों की नजर बिहारी मतदाताओं पर रहती है।
दरअसल यहां पर बिहार समुदाय के लोग बड़ी तादाद में है। यही वजह है कि इस क्षेत्र में जड़े जमाने के लिए दलों की नजर बिहारी मतदाताओं पर रहती है।
तिनसुकिया में बिहार के लोग ही निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बिहार के शिव शंभू ओझा विधायक रहे हैं। उनका प्रदेश की राजनीति में जबरदस्त दखल था। कांग्रेस के शिव शंभू ओझा का 1985 से 1991 तक वर्चस्व रहा।
हालांकि पिछले चुनाव में इस सीट से बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी के संजय किशन ने इस सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार राजेंद्र प्रसाद को 35 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। जबकि 2011 के चुनाव में राजेंद्र प्रसाद ने संजय किशन को 41 हजार वोटों से मात दी थी। इससे पहले दो चुनावों में भी राजेंद्र प्रसाद ही जीते थे, हालांकि पिछले चुनाव में हार के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ बीजेपी जॉइन कर ली थी।
राजद ने उतारा उम्मीदवार
इस बार इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल ने अपनी उम्मीदवार उतारा है। आरजेडी ने हीरा देवी चौधरी को टिकट देकर सियासी हलचल बढ़ा दी है। कौन है हीरा देवी
आपको बता दें कि हीरा देवी चौधरी भागलपुर की निवासी हैं। लेकिन शादी के बाद वे असम चली गईं। जिले में वे एक सफल व्यवसायी के तौर पर जानी जाती हैं। 1984 से वे यहीं पर रह रही हैं और राजद को उम्मीद है वो चुनाव में जीत हासिल करेंगी।
इस बार इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल ने अपनी उम्मीदवार उतारा है। आरजेडी ने हीरा देवी चौधरी को टिकट देकर सियासी हलचल बढ़ा दी है। कौन है हीरा देवी
आपको बता दें कि हीरा देवी चौधरी भागलपुर की निवासी हैं। लेकिन शादी के बाद वे असम चली गईं। जिले में वे एक सफल व्यवसायी के तौर पर जानी जाती हैं। 1984 से वे यहीं पर रह रही हैं और राजद को उम्मीद है वो चुनाव में जीत हासिल करेंगी।
तेजस्वी और तेज प्रताप भी उत्साहित
आपको बता दें कि असम के इस मिनी बिहार पर हमेशा से ही हिंदी भाषी उम्मीदवारों ने जीत अर्जित की है। लालू यादव के दोनों लाल तेजस्वी यादव और तेज प्रताप ने भी यहां जनसभाएं कीं। इस दौरान जबरदस्त भीड़ देखकर दोनों ही नेता उत्साहित नजर आए थे।
आपको बता दें कि असम के इस मिनी बिहार पर हमेशा से ही हिंदी भाषी उम्मीदवारों ने जीत अर्जित की है। लालू यादव के दोनों लाल तेजस्वी यादव और तेज प्रताप ने भी यहां जनसभाएं कीं। इस दौरान जबरदस्त भीड़ देखकर दोनों ही नेता उत्साहित नजर आए थे।
आपको बता दें कि असम के चाय बगानों में बिहार के मजदूर बड़ी संख्या में कार्यरत हैं। इसी वोट बैंक पर RJD की नजर है। तिनसुकिया के आंकड़ों पर नजर
– 1500 परिवार ऐसे हैं, जिनकी जड़ें बिहार-यूपी से जुड़ी
– 1100 में से 300 गांवों में हिंदी भाषी
– 03 चुनाव में लगातार राजेंद्र प्रसाद ने जीत दर्ज की
– 2016 में बीजेपी के संजय किशन ने प्रसाद को हराया
– 70,937 वोट संजय किशन को मिले
– 1500 परिवार ऐसे हैं, जिनकी जड़ें बिहार-यूपी से जुड़ी
– 1100 में से 300 गांवों में हिंदी भाषी
– 03 चुनाव में लगातार राजेंद्र प्रसाद ने जीत दर्ज की
– 2016 में बीजेपी के संजय किशन ने प्रसाद को हराया
– 70,937 वोट संजय किशन को मिले
यह भी पढ़ेँः Assam Assembly Elections 2021: जनता के बीच खुद को रोक नहीं पाए दिग्गज, ऐसे थिरके बीजेपी-कांग्रेस नेता आपको बता दें कि उल्फा का आतंक बढ़ने से पहले इन इलाकों में बिहार समुदाय की संख्या और ज्यादा थी। लेकिन बढ़ती आतंकी घटनाओं के बीच बिहार के लोगों ने यहां से पलायन कर लिया।
मौजूदा समय में यहां ऐसे बिहार के लोग रह रहे हैं, जिनकी यहीं पर तीसरी या चौथी पीढ़ी हो गई है। तिनसुकिया में मतदान चुनाव के पहले चरण में हो चुका है। इसका नतीजा किसके पक्ष में होगा इसके लिए 2 मई का इंतजार करना होगा।