पहली चुनौती कर ली है पार
बीरेन सिंह का अब तक का सफर भले आसान रहा हो, उनके लिए आगे की राह में कई प्रकार परेशानियां नजर आ रही है। विधानसभा की महज 60 सीटों वाला ये राज्य लंबे अरसे से कई जटिल समस्याओं से जूझ रहा है। इनमें सबसे प्रमुख रही आर्थिक नाकेबंदी, जिसे बिरेन सिंह की सरकार ने खत्म करने पर जोर दिया है।
पर्वतीय क्षेत्रों में आवाजाही
राज्य को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली सड़कों, नेशनल हाइवे-2 और 37 पर वाहनों की आवाजाही ठप रही है। यह पर्वतीय राज्य सब्जियों और खाने-पीने की दूसरी चीजों के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर है। लेकिन वाहनों की आवाजाही ठप होने की वजह से आवश्यक वस्तुएं सप्लाई बाधित है।
यह भी पढ़ें – Manipur Assembly Elections Result 2022 : बीजेपी ने किया सरकार बनाने का दावा, सीएम बीनेर और प्रदेशाध्यक्ष ने कही ये बात
नगा उग्रवादी संगठन
मणिपुर राज्य में दूसरी सबसे बड़ी चुनौती नगा उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल आफ नगालैंड (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुट और केंद्र सरकार के बीच हुई शांति समझौते को लेकर भी राज्य के बहुसंख्यक मैतेयी तबके में संशय है। यही वजह है कि कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियान के दौरान भाजपा के खिलाफ इस समझौते का इस्तेमाल तुरुप के पत्ते की तरह किया। यहां आए दिन हिंसा के घटनाएं सामने आती रहती है।
यह भी पढ़ें – Manipur Assembly Elections Result 2022 : मणिपुर में भी कांग्रेस पस्त, अब मुख्य विपक्षी दल का भी दर्जा छिना!
विकास की गति देना अहम चुनौती
मणिपुर में विकास की गति ठप होने और व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते रहे हैं। नई सरकार के सामने अपने कामकाज में पारदर्शिता बरतते हुए राज्य में विकास की गति को तेज करने की अहम चुनौती होगी।