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यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे फेज में इन बड़े राजनीतिक चेहरे की प्रतिष्ठा दांव पर

locationलखनऊPublished: Jan 11, 2022 06:05:26 pm

चुनाव 2022 के दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर जिलों के लिए 14 फरवरी को वोट पड़ेंगे। इसमें 9 जिलों की 55 विधानसभा सीटें शामिल है। 28 जनवरी नामांकन की अंतिम तिथि है। दूसरे चरण में कई राजनीतिक चेहरे है, जिनकी यूपी की राजनीति में हनक है। इस 18वीं विधानसभा चुनाव में इन बड़े-बड़े चेहरों की की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे फेज में इन बड़े राजनीतिक चेहरे की प्रतिष्ठा दांव पर

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे फेज में इन बड़े राजनीतिक चेहरे की प्रतिष्ठा दांव पर

लखनऊ. चुनाव 2022 के ऐलान के साथ यूपी में सभी राजनीतिक दल अपने चुनावी प्रचार में जुट गए हैं। रणनीति बनाई जा रही है। और जीत के मंत्र के साथ चुनावी नारे गढ़े जा रहे हैं। किसी भी ढंग से जनता का मन मोह ले लेने की तैयारी है। यूपी में सात चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव 2022 के दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर जिलों के लिए 14 फरवरी को वोट पड़ेंगे। इसमें 9 जिलों की 55 विधानसभा सीटें शामिल है। 28 जनवरी नामांकन की अंतिम तिथि है। दूसरे चरण में कई राजनीतिक चेहरे है, जिनकी यूपी की राजनीति में हनक है। इस 18वीं विधानसभा चुनाव में इन बड़े-बड़े चेहरों की की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के दूसरे चरण में बहुत सारे वीआईपी नेता हैं। कोई नवाब है तो कोई नवाब का विरोधी है। किसी ने अपने पूर्वजों की पार्टी को अलविदा किया तो कोई एक ही पार्टी का कर्मठ नेता है। चुनाव के दूसरे चरण में इन पांच नेताओं के रिजल्ट पर सबकी निगाहें जमी रहेंगी है। इनमें सुरेश खन्ना, जितिन प्रसाद, इमरान मसूद, नवाब काजिम अली खां, सुचि चौधरी शामिल हैं।
सुरेश कुमार खन्ना – अपने को फुल टाइम पॉलिटिशन और जमीनी नेता मानने वाले हनुमानभक्त सुरेश खन्ना ने पहला चुनाव लोकदल के टिकट पर लड़ा था। बाद में भाजपा का दामन थाम लिया। शाहजहांपुर विधानसभा सीट से 1989 में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद 1991, 1993, 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 के चुनाव जीतते रहे। 8 बार के विधायक सुरेश खन्ना काफी लोकप्रिय हैं।
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जितिन प्रसाद – कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे जितेंद्र प्रसाद की राजनीतिक विरासत जितिन प्रसाद ने संभाली। राहुल गांधी के काफी करीबी रहे। 2001 में पहली बार सांसद बने। सीट आरक्षित होने की वजह से धौरहरा सीट से फिर जीते। 2014 और 2019 के लोस चुनाव हार गए। 2017 में तिलहर विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। नौ जून, 2021 को सबको चौंकाते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।
इमरान मसूद – सहारनपुर में काजी रशीद मसूद की राजनीतिक विरासत अब इमरान मसूद के कांधे पर आ गई है। राहुल-प्रियंका के बेहद करीबी इमरान मसूद इस वक्त चर्चा में हैं। राजनीतिक कैरियर की शुरूआत 2007 का चुनाव निर्दलीय जीतने से हुई। 2012 कांग्रेस के टिकट पर लड़े और हार गए। साल 2013 में सपा में गए और फिर हाथ के साथ हो गए। 2014, 2019 लोकसभा हार गए।
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नवाब काजिम अली खां- नवाब काजिम अली खान उर्फ नावेद मियां स्वार टांडा सीट को अपनी कर्मभूमि बनाया। स्वार टांडा विधानसभा सीट से नावेद मियां चार बार के विधायक रहे हैं। वर्ष 2017 चुनाव में आजम आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम खां से हार गए। वो कांग्रेस सहित विभिन्न दलों में नावेद मियां ने अपना हाथ आजमाया है। अब नावेद मियां के बेटे हमजा की सियासी एंट्री हुई है।
सुची चौधरी – भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय सदस्य व सबसे कम उम्र की महिला विधायक का ख़िताब प्राप्त करने वाली सुची चौधरी ने भाजपा के टिकट से सपा प्रत्याशी रूचि वीरा को पराजित करते हुए सफलता प्राप्त की थी। वह 17वीं विधानसभा में हुए चुनाव में 27,281 वोटों के अंतर से विजयी प्राप्त कर रिकार्ड बनाया है।
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