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UP Assembly Elections 2022 : ‘बुंदेलखंड के वीरप्पन’ दस्यु सम्राट ददुआ की सहानुभूति क्या इस बार भी उसके बेटे को मिलेगी

UP Assembly Elections 2022 : चित्रकूट-बुंदेलखंड क्षेत्र के साथ ही मध्य प्रदेश के विंध्य इलाके में दस्यु सम्राट ददुआ ने करीब तीन दशकों तक राज किया। पाठा के जंगलों के इस बेताज बादशाह की परछाई तक को कभी पुलिस छू नहीं सकी थी। ददुआ के आशीर्वाद के बिना ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनाव नहीं लड़े जा सकते थे। बुंदेलखंड के वीरप्पन कहे जाने वाले ददुआ ने बंदूक की नाल पर जंगल में वोट की फसल उगाई। लेकिन सियासत में अति महत्वकांक्षा उसे ले डूबी।

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लखनऊ

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Amit Tiwari

Feb 17, 2022

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UP Assembly Elections 2022 : ‘बुंदेलखंड के वीरप्पन’ के नाम से मशहूर दस्यु सम्राट ददुआ की सहानुभूति क्या इस बार भी उसके बेटे वीर सिंह पटेल को मिलेगी। सपा ने ददुआ के बेटे के मानिकपुर से पार्टी का प्रत्याशी घोषित किया है। 2012 में भी वीर सिंह पटेल सपा से विधायक बने थे। इससे पहले 2006 में ददुआ ने अपने बेटे को निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष में बनवाया था। अब एक बार फिर वीर सिंह विधानसभा पहुंचने के लिए चुनाव मैदान में हैं। जिसके चलते पाठा के जंगलों का बेताज बादशाह कहे जाने वाले ददुआ का नाम फिर से सुर्खियों में है। कभी तेंदू के पत्तों का काला कारोबार करने वाले ददुआ के आतंक का खौफ लोगों के दिलों में इस तरह घर कर गया कि वह जंगल से ही बंदूक की नोंक पर वोटों की खेती करने लगा। जिसके बाद ददुआ का यूपी सियासत में भी दखल बढ़ने लगा और उसने जंगल से जिसे चाहा, उसे यूपी की सत्ता दिलाने का भी काम किया। लेकिन उसकी बढ़ती सियासी महत्वाकांक्षा ही उसकी मौत का कारण बन गई। लेकिन इसके बावजूद दस्यु सम्राट आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।

बेटे के बनवाया था निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष

कभी बंदूक के बल पर जंगल से वोट उगाने वाले डकैत ददुआ के बेटे वीर सिंह पटेल को सपा ने मानिकपुर से प्रत्याशी बनाया है। वीर सिंह पटेल ने पहला चुनाव वर्ष 2006 में मानिकपुर विधानसभा के चुरेह केसरुआ वार्ड से जिला पंचायत सदस्य के रुप में लड़ा था। तब डकैत ददुआ की हनक इतनी थी कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर किसी प्रत्याशी ने पर्चा दाखिल नहीं किया और उस वक्त वीर सिंह पटेल निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए थे।

भाई बाल कुमार पटेल को बनवाया था सांसद

बताया जाता है कि ददुआ के 500 गांवों में ग्राम प्रधान थे और उसका प्रभाव करीब 10 लोकसभा सीटों और दर्जनों विधानसभा क्षेत्रों तक था। ददुआ के खौफ का आलम यह था कि बुंदेलखंड में चुनाव कोई भी उसके समर्थन के बिना नहीं जीत सकता था। ददुआ के इसी खौफ का फायदा यूपी के राजनीतिक दलों ने भी उठाया। ददुआ ने बंदूक की दम पर जहां कभी बसपा की सरकार बनवाई तो कभी बसपा से नाराज चल रहे ददुआ का सपा ने फायदा उठाया। हालांकि, ददुआ कभी खादी पहन नेता नहीं बन पाया लेकिन भाई बालकुमार पटेल जहां मिर्जापुर से सांसद बनें तो वहीं बेटा वीर सिंह पटेल भी कर्वी से विधायक बना। बहू जिला पंचायत अध्यक्ष भी रही तो वहीं भतीजा भी पट्टी से विधायक बना।

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2007 में एनकाउंटर में मारा गया था ददुआ

सियासत में ददुआ की बढ़ती अति महत्वाकांक्षा ही उसे ले डूबी और मानिकपुर थाना क्षेत्र के आल्हा गांव के पास झालवाल में 22 जुलाई 2007 में पुलिस और एसटीएफ के एनकाउंटर में ददुआ को मार गिराया गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मुठभेड़ में शामिल एसटीएफ टीम के लिए 10 लाख रुपये के नकद इनाम की भी घोषणा की थी।

कौन था ददुआ

चित्रकूट-बांदा क्षेत्र का एक ऐसा नाम है, जिसे लगभग हर कोई जानता है। चित्रकूट-बांदा क्षेत्र के बच्चे-बच्चे की जुबान पर ददुआ का नाम चढ़ा हुआ है। क्षेत्र के पाठा जंगलों में ददुआ नाम खौफ और आतंक का पर्याय था। हालांकि, ददुआ को लेकर कभी भी लोग एकमत नहीं रहे। लेकिन आज भी लोगों का कहना है कि वह गरीबों के लिए मसीहा था। वहीं व्यापारियों और धनी लोगों के लिए ददुआ उनके लिए वह चेहरा बन गया था, जिसके मिट जाने पर इनमें खुशी का माहौल था।

22 साल की उम्र में की थी 9 लोगों की हत्या

ददुआ का जन्म उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के देवकली गांव में राम पटेल सिंह के घर में हुआ था। ददुआ का असली नाम शिवकुमार पटेल था, जिसकी मंदिर में लगी मूर्ति और पुलिस रिकॉर्ड में सामने आई फोटो के अलावा किसी ने झलक तक नहीं देखी थी। ददुआ का नाम उस वक्त सुर्खियों में छा गया था, जब उसने 22 साल की उम्र में अपने ही गांव के 9 लोगों की हत्या कर दी और गांव से फरार हो गया था।

नरसिंहपुर कर्बहा गांव में लगी है ददुआ की मूर्ति

साल 1992 में ददुआ एक बार फतेहपुर के नरसिंहपुर कर्बहा गांव में पुलिस के चंगुल में फंस गया और बचने की संभावना कम थी। लेकिन इस बार भी ददुआ किस्मत का धनी रहा और साथियों के मारे जाने के बाद भी वह बच निकला था। बाद में इसी गांव में उसका मंदिर भी बनवाया गया, जहां ददुआ की मूर्ति आज भी लगी है।