
Uttar Pradesh Assembly Election 2022 : जैदपुर में जीत कर भी उपचुनाव हार गई भाजपा, अब वापसी के लिए मोदी-योगी का सहारा
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
बाराबंकी. भाजपा नेताओं को यह सवाल परेशान कर रहा है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 29181 मतों के बड़े अंतर से जैदपुर (सुरक्षित) सीट जीतने के बाद वर्ष 2019 के उपचुनाव में कैसे हार गए। दरअसल 2017 के चुनाव में यहां से जीते विधायक उपेंद्र रावत के वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बाराबंकी के सांसद चुन लिए जाने के कारण उपचुनाव हुए थे। ऐसे में भाजपा के लिए यह सीट Uttar Pradesh Assembly Election 2022 में मुश्किलें पैदा करने वाली है। भाजपा के नेता तो बस मोदी-योगी लहर के सहारे हैं। सपा खुश है कि जिले की छह में से दो सीटों पर उसका कब्जा है।
जैदपुर विधानसभा सीट के चुनावी गणित तो अपनी जगह है लेकिन वर्ष 2017 का चुनावी समर काफी दिलचस्प था। इसकी एक वजह उत्तर प्रदेश के चर्चित नौकरशाह रहे और अब कांग्रेस के प्रमुख नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया का यहां से चुनाव लडऩा। इस चुनाव में भाजपा के उपेंद्र रावत ने 111064 वोट प्राप्त कर जीत दर्ज की थी जबकि दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के पुनिया को 81883 मत मिले थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उपेंद्र रावत संसद पहुंच गए। ऐसे में 2019 में उपचुनाव हुआ और सपा ने नए चेहरे पर दांव लगाते हुए गौरव रावत को उम्मीदवार बनाया। गौरव रावत ने भाजपा को बड़ा झटका देते हुए जैदपुर सीट जीत ली। कांग्रेस भी बुरी तरह पराजित हुई।
वर्ष 2022 में नए चेहरे की तलाश में भाजपा
अब Uttar Pradesh Assembly Election 2022 में भाजपा के लिए मुश्किल यही है कि कैसे कब्जा किया जाय ? पार्टी के एक नेता कहते हैं कि नया चेहरा ही नैया पार लगा सकता है, इसलिए खोजबीन चल रही है लेकिन असली आस मोदी-योगी लहर की है। उधर प्रदेश में सत्ता में लौटने का ख्वाब देख रही समाजवादी पार्टी उम्मीदवार के चयन में फूंक -फूंक कर कदम रख रही है। कांग्रेस की महासचिव व उप्र प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा जैदपुर में जन सभा कर कांग्रेस की प्रतिज्ञाओं का जिक्र कर मतदाताओं पर जादू करने की कोशिश की। भाजपा नेता सदस्यता अभियान के जरिए जैदपुर विधानसभा के सभी मंडलों में बैठकें कर चुके हैं। कुल मिलाकर यहां के चौक-चौराहों पर चुनावी रंगत दिखने लगी है।
ये हैं प्रमुख मुद्दे
बाराबंकी जिले की जैदपुर विधानसभा क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति सबसे लचर है। बढ़ते अपराध और पुलिस में व्याप्त कदाचार को लेकर राम नगर विधायक शरद अवस्थी ने डीजीपी को एक पत्र भी लिखा था। इस पत्र ने काफी सुर्खियां बटोरी थी। अफीम की खेती के लिए चर्चित इस क्षेत्र में अपराधों की भी खेती होती है लेकिन यह कभी चुनावी मुद्दे नहीं बन पाते हैं। रोजी-रोटी की तलाश में लोग बड़े शहरों की ओर रवाना होते हैं। चुनावों में आमतौर पर यहां मुद्दों से अधिक जातिवाद और क्षेत्रीयता हावी होने लगती है।
अफीम ने बिगाड़ी छवि
अफीम जैसे मादक पदार्थों की खेती जिले के अलावा जैदपुर के भी कई गांवों में होती है। पहले यही आय का बड़ा साधन था लेकिन तस्करी के कारण प्रशासन का शिकंजा कसने के बाद मादक पदार्थों की तस्करी कुछ कम हुई है। आए दिन तस्कर पकड़े जाते हैं। हालांकि कई ऐसे गांव हैं, जहां के लोग तस्करी से तौबा कर चुके हैं। इनका आरोप है कि इसके बावजूद उन्हें परेशान किया जाता है। अधिकारी बताते हैं कि बाराबंकी जिले में पहले 5 हजार हेक्टेयर में अफीम की खेती होती थी लेकिन अब इसका दायरा सिमट गया है।
Published on:
05 Jan 2022 04:43 pm
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