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पूर्वांचल में पार्टी के नेताओं का एटीट्यूड भी पहली बार बना मुद्दा, व्यवहार से नाखुश पार्टी समर्थक बगावत पर उतारू

लखनऊ के इंदिरानगर के विकास मिश्रा कहते हैं कि वर्षों की मेहनत के बाद बाहरी आदमी को प्रत्याशी बना दिया गया है। ऐसे में निराशा लाजिमी है। सरोजनीनगर के दुर्गेश सिंह कहते हैं हमें अपने नेता के व्यवहार के कारण किसी और पार्टी को वोट देना पड़ेगा। भले ही उससे विचारधारा नहीं मिलती। कैंट क्षेत्र की रानी देवी का कहना है कि जिस नेता का कोई अस्तित्व नहीं है उसे टिकट देकर पार्टी ने अपनी हार तय कर ली है। हम अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे। हमें कुछ और फैसला लेना ही पड़ेगा।

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लखनऊ

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Prashant Mishra

Feb 21, 2022

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लखनऊ. यूपी विधानसभा चुनाव बिना किसी बड़े मुद्दे और लहर के लड़ा जा रहा है। इसलिए नेताओं का आचरण, व्यवहार और उनकी कार्यप्रणाली भी मत देने का आधार बन रही है। ऐसा पहली बार देखा जा रहा है कि नेताओं और उम्मीदवारों का एटीट्यूड भी चुनाव को प्रभावित कर रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों की मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है। लेकिन नेताओं की अकड़ पार्टी पर भारी पड़ रही है। मतदान के समय अकड़ की वजह से पार्टियों का मत प्रतिशत गिरने की सूचनाएं मिल रही हैं।

अपनों को हराने में जुटे कार्यकर्ता

अभी तक के मतदान में कई पार्टी के समर्थकों में उम्मीदवार से नाराजगी देखी गई है। कई सीटों पर पार्टी के समर्थक ही उम्मीदवार को हराने में जुटे हैं। जिसके चलते पार्टी को वोट नहीं मिल रहा है। टिकट बंटवारा और उम्मीदवार की छवि पार्टी के लिए अहम रोल अदा कर रही है। पार्टी के शीर्ष नेताओं की अकड़ भी चुनावी समीकरण को बिगाड़ रही हैं।

प्रदेश में कई सीटें ऐसे हैं जहां पार्टी के समर्थक पार्टी को वोट देना चाहते हैं पर उम्मीदवार के व्यवहार से नाराज होकर किनारा कर ले रहे हैं। वोटर की नाराजगी सिर्फ उम्मीदवार तक ही सीमित नहीं है। विचारधारा एक होने के बाद भी पार्टी के शीर्ष नेताओं के अहंकार भरे बयान और व्यवहार को याद कर भी मतदाता पाला बदल रहे हैं।

सभी पार्टियों का यही हाल

नेताओं का एटीट्यूड हर पार्टी में चुनाव को प्रभावित कर रहा है। लगभग सभी बड़े राजनीति दलों के सामने यह समस्या है। तीन चरर्णों में 172 सीटों पर मतदान हो चुका है। जिसमे 50 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार से नराजगी और नेताओं के अहंकार ने समर्थकों को पाला बदलने के लिए मजबूर किया। पार्टी समर्थकों को सबसे ज्यादा नाराजगी उन उम्मीदवारों से है जो बाहरी हैं। पार्टी के लिए कई वर्षों से कार्य करने वाले नेता पार्टी से टिकट न मिलने से नाराज हैं। ऐसे में क्षेत्रीय नेता पार्टी उम्मीदवार का भले ही खुलकर विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन अंदर से उम्मीदवार के खिलाफ हैं। सिर्फ राजधानी लखनऊ में ही तीन सीटों पर ऐसी स्थिति है जहां उम्मीदवार के चलते पार्टी में अंदरूनी बगावत जारी है।

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क्या कहतें हैं वोटर

लखनऊ के इंदिरानगर के विकास मिश्रा कहते हैं कि वर्षों की मेहनत के बाद बाहरी आदमी को प्रत्याशी बना दिया गया है। ऐसे में निराशा लाजिमी है। सरोजनीनगर के दुर्गेश सिंह कहते हैं हमें अपने नेता के व्यवहार के कारण किसी और पार्टी को वोट देना पड़ेगा। भले ही उससे विचारधारा नहीं मिलती। कैंट क्षेत्र की रानी देवी का कहना है कि जिस नेता का कोई अस्तित्व नहीं है उसे टिकट देकर पार्टी ने अपनी हार तय कर ली है। हम अपना वोट बर्बाद नहीं करेंगे। हमें कुछ और फैसला लेना ही पड़ेगा।

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